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असद खान बने अथर्व त्यागी, काशी में गंगा के किनारे धर्मांतरण कर सनातन धर्म अपनाया, बताई ये वजह

December 30, 2025

वाराणसी । धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी (Kashi) में सोमवार को एक बार फिर सनातन धर्म (Sanatan Dharma) के प्रति अटूट आस्था की तस्वीर देखने को मिली। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर जिले (Sagar district) के रहने वाले असद खान (Asad Khan) ने इस्लाम धर्म को त्याग कर आधिकारिक रूप से सनातन धर्म स्वीकार कर लिया। अस्सी घाट के सामने गंगा की गोद में नाव पर बैठकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म बदला और असद से अथर्व त्यागी बन गए।

धर्मांतरण की यह प्रक्रिया बेहद खास रही। असद खान ने सबसे पहले अस्सी घाट पर अपना मुंडन कराया। इसके बाद वह हनुमान सेना के सदस्यों और पुरोहितों के साथ नौका में सवार होकर गंगा की बीच धारा में पहुंचे। वहां गंगा की गोद में बैठकर वैदिक विधि-विधान और शुद्धिकरण अनुष्ठान संपन्न हुआ। मंत्रोच्चार के साथ उन्हें जनेऊ धारण कराया गया और तिलक लगाकर सनातन धर्म में दीक्षित किया गया। अनुष्ठान संपन्न होने के बाद पंडितों ने उन्हें नया हिंदू नाम ‘अथर्व त्यागी’ प्रदान किया।


बचपन से थी राम-भक्ति, कंठस्थ है हनुमान चालीसा
अथर्व त्यागी धर्म बदलने के बाद बताया कि उनकी आस्था बचपन से ही सनातन देवी-देवताओं में रही है। वे नियमित रूप से महादेव, प्रभु श्रीराम और बजरंगबली के मंदिरों में दर्शन के लिए जाते रहे हैं। उन्हें न केवल हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों का ज्ञान है, बल्कि हनुमान चालीसा भी पूरी तरह कंठस्थ है। उन्होंने कहा कि मेरे दिल में हमेशा से सनातन धर्म के प्रति प्रेम रहा है, मैं केवल औपचारिकता के लिए मुस्लिम था, लेकिन मेरी श्रद्धा हमेशा हिंदू धर्म में रही।

धर्मांतरण का मुख्य कारण भी बताया
अथर्व ने अपनी पहचान बदलने के पीछे एक बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि उनके परिचय पत्र (ID Card) पर मुस्लिम नाम होने के कारण कई बार मंदिरों में दर्शन के दौरान उन्हें असहज स्थिति और सुरक्षा संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ता था। श्रद्धा होने के बावजूद नाम की वजह से लोग उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते थे। इसी मानसिक द्वंद्व और बाधाओं को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए उन्होंने काशी आने और आधिकारिक रूप से हिंदू बनने का संकल्प लिया।

बाबा बागेश्वर का प्रभाव और कानूनी प्रक्रिया
अथर्व ने इस बदलाव के लिए बाबा बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के शिष्य आलोक सनातनी से संपर्क किया था। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए आलोक सनातनी और हनुमान सेना के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने काशी में सभी आवश्यक प्रबंध किए। अथर्व त्यागी ने स्पष्ट किया कि वे सागर लौटकर इस धर्मांतरण की कानूनी प्रक्रिया पूरी करेंगे और गजट नोटिफिकेशन के बाद आधार व पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों में भी अपना नाम बदलवाएंगे।

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