नई दिल्ली। सेना (Indain army) ने साल 2025 में हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों (Key achievements) के बारे में बताया है। इसमें ऑपरेशन सिंदूर, नई क्षमताएं, टेक्नोलॉजी इंडक्शन, सैन्य कूटनीति और स्वदेशीकरण जैसे कदम शामिल हैं। सैन्य क्षेत्र में इस साल का सबसे बड़ा डेवलपमेंट ऑपरेशन सिंदूर था, जो मई 2025 में पाकिस्तान सेना समर्थित आतंकवादियों की ओर से पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ। पूरी ऑपरेशनल योजना भारतीय सेना के मिलिट्री ऑपरेशंस ब्रांच ने तैयार की। इसे अंजाम देने की निगरानी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस के ऑप्स रूम से की गई, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और सभी तीन सर्विस चीफ उपस्थित थे। ऑपरेशन के दौरान, सीमा पार 9 आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया गया। 7 शिविरों को भारतीय सेना ने निष्क्रिय किया, जबकि दो को भारतीय वायु सेना ने नष्ट कर दिया। ये हमले सटीक, नियंत्रित और समयबद्ध थे।
रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में प्रगति
इंडियन आर्मी ने ब्रह्मोस और पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में हुई प्रगति पर भी प्रकाश डाला। 1 दिसंबर को दक्षिणी कमान की ब्रह्मोस यूनिट ने अंडमान और निकोबार कमान के साथ मिलकर युद्ध मिसाइल प्रक्षेपण किया, जिससे खास तरह की युद्ध स्थितियों में उच्च गति उड़ान स्थिरता और टर्मिनल सटीकता की पुष्टि की गई। सेना ने बताया कि विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सिस्टम पर काम चल रहा है। 24 जून को 2 अतिरिक्त पिनाका रेजिमेंटों को ऑपरेशनल बनाया गया। 2025 समाप्त होने से पहले सोमवार को सेना ने पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण किया, जिसकी रिपोर्टेड रेंज लगभग 120 किमी है। 22 जुलाई को पहले तीन AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर प्राप्त हुए, जबकि शेष 3 दिसंबर में डिलीवर किए गए। अब 6 अपाचे ऑपरेशनल होने से यह यूनिट सेना की हमले क्षमताओं को और मजबूत करेगी, जो दुश्मनों के बख्तरबंद वाहनों के लिए गंभीर खतरा है।
सेना ने अपनी संरचना को और मजबूत बनाने के लिए नई यूनिट्स तैयार की हैं। अक्टूबर में राजस्थान में भैरव लाइट कमांडो बटालियनों और अश्नी ड्रोन प्लाटूनों का शानदार प्रदर्शन दिखाया गया। योजना है कि 25 भैरव बटालियनों को जल्दी ही पूरी तरह ऑपरेशनल बनाया जाए। ये कमांडो बटालियलें तेज और हल्की होती हैं, जबकि अश्नी प्लाटूनें इन्फैंट्री यूनिट्स में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, निगरानी और टोही के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेंगी। इसके अलावा, नई शक्तिबाण रेजिमेंट और दिव्यास्त्र बैटरियां बनाई जा रही हैं, जो मानवरहित सिस्टम और लॉइटर म्यूनिशन्स से लैस होंगी। ये सब भविष्य के युद्धों और चुनौतियों से निपटने के लिए हैं।
खरीद में स्वदेशी चीजों पर जोर
सेना ने हथियारों और तकनीक की खरीद में बड़ा ध्यान स्वदेशी चीजों पर दिया है। पिछले दो सालों को टेक एब्जॉर्प्शन के वर्ष कहा गया, यानी नई तकनीक को तेजी से अपनाने का समय। अब सेना के इस्तेमाल होने वाले 91 प्रतिशत गोला-बारूद भारत में ही बन रहे हैं। पिछले एक साल में करीब 3,000 ड्रोन खरीदे गए हैं, जिनमें रिमोट से उड़ने वाले एयरक्राफ्ट, ड्रोन, ऊंची जगहों पर सामान पहुंचाने वाले लॉजिस्टिक्स ड्रोन और कामिकेज ड्रोन शामिल हैं। डिजिटल बदलाव भी तेजी से हो रहा है, जिसके तहत एज डेटा सेंटर बनाए गए हैं और खुद के बनाए ऐप जैसे इक्विपमेंट हेल्पलाइन और सैनिक यात्री मित्र ऐप सैनिकों की मदद कर रहे हैं।
अक्टूबर 2025 में जैसलमेर में हुई आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में ग्रे जोन वारफेयर (जैसे साइबर अटैक, गलत सूचना फैलाना, आर्थिक दबाव आदि), संयुक्त ऑपरेशंस और नवाचार पर खास चर्चा हुई। सेना ने फ्रांस, अमेरिका, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, ब्रिटेन और यूएई जैसे देशों के साथ बड़े संयुक्त अभ्यास किए। इससे दोस्त देशों के साथ मिलकर लड़ने की क्षमता बढ़ी और क्षेत्रीय संबंध मजबूत हुए। साथ ही, इनो-योद्धा 2025-26 जैसी पहल में 89 नए आइडिया आए, जिनमें से 32 को आगे विकसित करने के लिए चुना गया। ये सब कदम सेना को आत्मनिर्भर, आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार बनाने के लिए हैं।
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