तेहरान। बीते कुछ दिनों से ईरान की सड़कों पर जनसैलाब (Streets, crowds of people) उमड़ पड़ा है। सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (Protests) में हिस्सा लेने के लिए हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं जहां बीते तीन साल में देश का सबसे बड़ा जनआंदोलन शुरू हो गया है। राजधानी तेहरान समेत कई बड़े शहरों में प्रदर्शनकारियों का गुस्सा देखने का मिला। प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों और लोगों के बीच झड़पें भी हुई हैं।
पिछले 2 दिनों से हालात और बिगड़े हैं। सोमवार 29 दिसंबर को तेहरान और मशहद में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कई जगहों पर टकराव देखने को मिला। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल भी किया है। सेंट्रल तेहरान में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। सोशल मीडिया पर कई विडियोज वायरल हो रहे हैं जिनमें तेहरान के ग्रैंड बाजार के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में लोग नारे जोरदार नारे लगाते दिखें।
हालांकि ईरान के लोगों का यह गुस्सा अचानक नहीं फूटा है। सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के नेतृत्व वाले शासन के खिलाफ विरोध की सबसे बड़ी वजह देश की डूबती अर्थव्यवस्था है। बीते दिनों ईरानी करेंसी रियाल डॉलर के मुकाबले गिरकर 42 हजार के पार पहुंच गई है। रियाल की ऐतिहासिक गिरावट ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है। हालात इतने बिगड़े कि सेंट्रल बैंक के प्रमुख मोहम्मद रजा फरजिन को इस्तीफा देना पड़ा।
वहीं महंगाई दर 42 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है। इससे आम लोगों की चीजें खरीदने की क्षमता लगभग खत्म हो गई है। खाने-पीने का सामान, दवाइयां और रोजमर्रा की जरूरतें लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। सालों के इंतजार के बाद भी सुधार की कोई उम्मीद ना दिखाए देने के बाद अब देशवासियों ने इस सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया है।
ट्रंप हैं वजह?
विशेषज्ञों के मुताबिक ईरान के मौजूदा संकट को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से अलग नहीं किया जा सकता। ईरान-इजरायल युद्ध के बाद की अनिश्चितता, संयुक्त राष्ट्र के नए प्रतिबंध और ट्रंप की ओर से परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के दबाव ने हालात को और नाजुक बना दिया है। अब मंगलवार को ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को बड़ी चेतावनी दी है, जिससे ईरान की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
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