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कर्ज जी का जंजाल : 1.75 करोड़ का लोन बन गया 147 करोड़ का बोझ

December 31, 2025

सिंगापुर। जमीन-घर हो या दुकान; अक्सर खरीदने के लिए लोग बैंक से लोन लेते हैं, और समय-समय पर चुकता भी करते रहते हैं। अगर यही कर्ज जी का जंजाल (Loan) बन गया तो सबकुछ बिक भी जाता है। कुछ ऐसा ही मामला सिंगापुर से सामने आया है। यहां एक व्यक्ति ने लाइसेंस प्राप्त महाजन से 2.5 लाख सिंगापुर डॉलर (लगभग 1.75 करोड़ रुपये) का कर्ज लिया था, जो बढ़कर 2.1 करोड़ सिंगापुर डॉलर (लगभग 147 करोड़ रुपये) हो गया। इस वजह से हालात ऐसे बन गए कि उसे अपना 2.1 करोड़ सिंगापुर डॉलर का घर भी बेचना पड़ा।

रिपोर्ट के अनुसार, उस व्यक्ति ने 2010-2011 के बीच कर्ज लिया था। इस पर प्रति माह 4 प्रतिशत ब्याज दर थी, देरी से भुगतान पर प्रति माह 8 प्रतिशत ब्याज लगता था, और इसके अलावा प्रति माह 2500 सिंगापुर डॉलर का देरी शुल्क भी था। बताया जाता है कि चार वर्षों में इन शुल्कों की वजह से कर्ज 2.5 लाख सिंगापुर डॉलर से बढ़कर 30 लाख सिंगापुर डॉलर हो गया, जो मूल राशि से कहीं ज्यादा था। 2021 तक कई वर्षों के चक्रवृद्धि ब्याज और जुर्मानों के बाद बकाया राशि बढ़कर 2.1 करोड़ सिंगापुर डॉलर हो गई थी।

और बेचना पड़ गया पैतृक घर

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि बढ़ते कर्ज से वह परेशान रहने लगा। समय पर किस्त भी नहीं चुका पा रहा था। इस वजह से जुलाई 2016 में उसने अपना घर कर्ज देने वाली कंपनी के निदेशक को लगभग 14 करोड़ रुपये में बेच दिया। लेकिन इस बिक्री में एक शर्त थी। उसने उसी निदेशक के साथ किरायेदारी का समझौता किया, जिसमें किरायेदार बनकर रहने और प्रति माह 5 लाख से 6 लाख रुपये के बीच किराया देने पर सहमति जताई गई थी।



कोर्ट में पहुंचा मामला

ये सब करने के बाद भी उसे राहत नहीं मिली। घर का मालिकाना हक छोड़ने के बाद भी कर्ज बढ़ता रहा। यह मामला तब सामने आया जब किराया न चुकाने और बेची गई संपत्ति खाली न करने को लेकर विवाद हुआ। विवाद इतना बढ़ा कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया। मामला जब अपील में गया तो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश फिलिप जयरात्नम ने कहा कि कर्ज का यह स्तर ‘अंतरात्मा को झकझोर देने वाला’ है।

उन्होंने कहा कि 2.5 लाख सिंगापुर डॉलर का कर्ज ब्याज और शुल्कों से ‘करोड़ों’ में बदल गया। दूसरी तरफ कर्जदार ने आरोप लगाया कि किराया समझौता महज दिखावा था और कर्ज दस्तावेजों में धोखाधड़ी या कानूनी उल्लंघन था। अदालत ने कहा कि कर्ज और घर की बिक्री दोनों से जुड़ी परिस्थितियों की जांच जरूरी है, ताकि पता चल सके कि किस हालात में उसे अपना घर बेचना पड़ा।

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