
त्रिपुरा: त्रिपुरा (Tripura) के उनाकोटी के छात्र एंजेल चकमा (Student Angel Chakma) की उत्तराखंड (Uttarakhand) में हुई मौत को लेकर देशभर में आक्रोश है. चकमा के परिवार (Family) का आरोप है कि एंजेल पर नस्लीय हमला हुआ था, जबकि देहरादून पुलिस (Dehradun Police) ने हाल ही में कहा है कि अभी तक नस्लीय दुर्व्यवहार का कोई सबूत नहीं मिला है.
पुलिस के अनुसार युवक पर तब हमला किया गया, जब उसने शराब की दुकान पर आए हमलावरों के कुछ मजाक पर आपत्ति जताई. देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि पुलिस ने सोशल मीडिया पर सामने आई उन पोस्टों का संज्ञान लिया है, जिनमें घटना को नस्लीय मकसद से जोड़ा जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक एसएसपी ने कहा कि हमारी जांच में अब तक नस्लीय भेदभाव या हिंसा का कोई सबूत नहीं मिला है. देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में एमबीए के अंतिम वर्ष के छात्र एंजेल चकमा का 26 दिसंबर को निधन हो गया. 9 दिसंबर को कुछ युवकों ने उन पर चाकू से हमला किया था, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हमले के बाद उन्हें 17 दिनों तक अस्पताल में रखा गया था.
मणिपुर के तंगजेंग में बीएसएफ में तैनात एंजेल चकमा के पिता ने आरोप लगाए कि उनके बेटे पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था, क्योंकि उन्होंने अपने भाई को बचाने की कोशिश की, जिसे हमलावरों ने नस्लीय गालियां दीं और चीनी कहा. पीड़ित के पिता के अनुसार हमलावरों ने उनके बेटों को चीनी मोमो कहकर पुकारा.
उन्होंने आगे बताया कि एंजेल ने उनसे कहा कि वह भारतीय है, चीनी नहीं. उन्होंने उस पर चाकू और धारदार वस्तुओं से हमला किया. बातचीत में एंजेल के चाचा ने भी कहा कि उनके भतीजे की मौत वास्तव में नस्लवाद का मामला है. उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि यह नस्लवाद का मामला नहीं है, लेकिन यह वास्तव में नस्लवाद का मामला है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved