
लखनऊ । नए साल का जश्न मनाने (To celebrate New Year) काशी, मथुरा और अयोध्या में (In Kashi, Mathura and Ayodhya) उमड़ा युवाओं का सैलाब (Flood of Youth Gathered) ।
शासन के पौने नौ वर्षों में उत्तर प्रदेश में जिस तरह से धार्मिक और पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है, उसका ही परिणाम है कि युवा लाखों की संख्या में काशी, मथुरा-वृंदावन और अयोध्या में नए साल की शुरुआत अपने इष्ट का दर्शन-पूजन से कर रहे हैं। यह उत्तर प्रदेश से उठी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की वह लहर है, जिसमें न केवल प्रदेश, बल्कि देशभर के युवा, लड़के-लड़कियां नए जोश और उत्साह के साथ सम्मिलित हो रहे हैं।
पर्यटन विभाग के अनुसार, इस वर्ष नए साल से कई दिन पहले से ही प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन और प्रयागराज में लाखों की संख्या में युवा पर्यटक पहुंच रहे हैं। इस क्रम में 29-30 दिसंबर को ही अयोध्या में भगवान श्रीराम का दर्शन करने 5 लाख से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं, जबकि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में पिछले तीन दिनों में 10 लाख और मथुरा में 3 लाख से अधिक पर्यटकों ने दर्शन पूजन किया। इनमें युवा पर्यटकों की संख्या सर्वाधिक है। 31 दिसंबर और 01 जनवरी को और अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं, साथ ही सुविधा के लिए गाइडलाइन भी जारी की है।
नए साल का जश्न धर्म स्थलों में मनाने का युवाओं का यह रुझान सोशल मीडिया पर भी दिखाई दे रहा है। जहां न्यू ईयर 2026 इन अयोध्या, न्यू ईयर 2026 इन काशी या स्पिरिचुअल न्यू ईयर जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। युवा नए साल के जश्न में इन धर्म स्थलों पर दर्शन पूजन कर दोस्तों और परिवारजनों के साथ सेल्फी अपलोड कर रहे हैं। यही रुझान पिछले वर्ष प्रयागराज में आयोजित हुए दिव्य-भव्य महाकुंभ में भी देखने को मिला था, जिसमें न केवल देश बल्कि विश्व के कोने-कोने से श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने आकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया था।
सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जिस तरह से प्रदेश में धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और सांस्कृतिक पुनरुत्थान हुआ है, उसने युवाओं के मन में आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अलख जगाई है। इस संबंध में काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्व भूषण मिश्र का कहना है कि सनातन संस्कृति उत्सव, उत्साह एवं उल्लास की आश्रयस्थली है। विश्व के समस्त उत्सव सनातन मान्यता में उत्कर्ष प्राप्त करते हैं। लोक उत्सव प्रायः तात्कालिक सत्ता के आचरण को प्रतिबिंबित करता है। अतः स्वाभाविक ही है कि वर्तमान काल में प्रत्येक पर्व पर चाहे वह भारतीय हो अथवा पश्चिम का पर्व, सनातन आस्था के केंद्रों पर श्रद्धालुओं का प्रवाह अभूतपूर्व है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved