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बिड़ला के ग्रेसिम उद्योग में कर्मचारियों की 25 प्रतिशत संख्या होगी कम

August 14, 2020

नागदा। बिड़ला घराना के नागदा जिला उज्जैन में स्थित ग्रेसिम उद्योग में कर्मचारियों की संख्या में लगभग 25 प्रतिशत कटौती होगी। संख्या को कम करने के लिए कर्मचारियों को वीआरएस राशि दी जाएगी।
यह चौकाने वाला खुलासा प्रदेश के जाने माने मजदूर नेता एवं मप्र शासन में पूर्व कैबिनेट मंत्री सुल्तानसिंह शेखावत ने हिंदुस्थान समाचार न्‍यूज एजेंसी से शुक्रवार शाम को एक विशेष मुलाकात में किया। एक सवाल जब उनसे पूछा गया कि ग्रेसिम कंपनी की इस प्रकार की अंदरूनी नीति का आपको पता कैसे चला है। उनका कहना था कि हाल में ग्रेसिम प्रबंधन के साथ उनकी एक बैठक हुई थी। जिससे प्रबंधन ने चिंता जताई कि आज के प्रतिस्पर्धा के युग में अब उद्योग चलाना मुश्किल हो रहा है। या तो दो वर्षों में उद्योग का कारोबार यहां से समेट लिया जाए अथवा इस इंड्रस्टीज में अब उत्पादन में लागत कम कर उद्योग को जीवित रखा जाए। ऐसी स्थिति में प्रबंधन ने उद्योग के कर्मचारियों की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी को कम करके ही इस चुनौती से मुकाबला किया जा सकता है।
तीन प्रकार के कर्मचारी कार्यरत
मजदूर नेता ने एक सवाल के जवाब में खुलासा किया उद्योग में सबसे अधिक लगभग 3500 ठेका मजदूर कार्यरत है। स्थायी श्रमिकों की संख्या तकरीबन 1700 है। स्टाफ कर्मचारियों की संख्या लगभग 300 है। इन तीनों केटेगेरी में संख्या को कम करने की मंशा प्रबंधक ने जताई है।
स्टॉफ में 125 की सूची
एक सवाल के जवाब में शेखावत का कहना था कि स्टॉफ में अभी तक 53 कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गई है। कुल 125 कर्मचारियों को कम करने का लक्ष्य तय किया गया है। जिसकी सूची बना ली गई है।
आखिर कैसे होंगे पद कम
प्रदेश नेता से जब यह सवाल किया गया कि उद्योग में इतने कर्मचारियों को कम करके आखिरकार किस प्रकार से उद्योग को संचालित किया जाएगा। उनका कहना था कि प्रबंधक इस संख्या को पाटने के लिए मशीनों का आधुनिकीकरण तथा नई तकनीकी का उपयोग कर श्रम शक्ति कम करने की दलील दे रहा है।
नौकरी छोडने के लिए दवाब नहीं होगा बर्दाश्‍त
इस साक्षात्कार में यह बात उभरकर सामने आई है कि प्रबंधन कर्मचारियों को वीआरएस राशि देकर संख्या को कम करेगा, लेकिन शेखावत का साफ कहना है कि वीआरएस लेने के लिए किसी भी कर्मचारी के साथ जबरजस्ती बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी। स्वेच्छा से ही वीआरएस दिया जाना चाहिए। वीआरएस राशि भी बढ़ाना होगी।
दो उद्योग देष में आने वाले
उनका कहना है कि स्टेपल फाइबर का उत्पादन ग्रेसिम उद्योग कर रहा है। इस प्रकार का उत्पादन करने के लिए देश में दो बड़ी कंपनियां अब भारत में प्रतिस्पर्धा में आ रही है। ऐसी स्थिति में स्टेपल फाबबर उत्पादन की बिक्री में ग्रेसिम के सामने एक बड़ी प्रतिस्पर्धा सामने आ जाएगी। जिसके कारण ग्रेसिम प्रबंधन अब इस प्रकार की नीति को अपनाने की योजना पर अमल करने के लिए विवश है।
दो विभाग बाहर चले गए
शेखावत का यह भी कहना है कि उत्पादन में लागत करने की सोच से ग्रेसिम प्रबंधन ने अपने दो विभाग सेल्स एवं एक अन्य को बडौदा स्थानांतरित कर दिया है।
मजदूर यूनियनों ने किया था अनुबंध
लगभग एक वर्ष पहले मा़त्र हिंदुस्थान समाचार एजेंसी नागदा ने एक खबर प्रसारित की थी जिसमें बताया गया था कि भविष्‍य में ग्रेसिम उद्योग में कर्मचारियों के पद कम होंगे। इस प्रकार का एक अनुबंध प्रबंधन एवं मजदूर नेता ने पांच वर्षीय वेतन वृद्धि के समझौते के समय किया था। पद कम करने के पहले एक एजेंसी के माध्यम से सर्वे करने की बात इस अनुबंध में है। एजेंसी/हिस

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