वाशिंगटन । सीरिया (Syria) में 14 साल तक चले गृह युद्ध के बाद अब हालात सामान्य होने की ओर हैं। अमेरिका ने सीरिया (Syria) से सारे प्रतिबंध हटा लिए हैं और अब यह इस्लामिक मुल्क (Islamic Country) दोबारा से सामान्य जनजीवन की ओर बढ़ रहा है। आर्थिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है तो वहीं सुरक्षा व्यवस्था के हालात भी सुधरे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल शारा से मुलाकात भी की और फिर यह ऐलान हुआ। लेकिन अमेरिका की इस रियायत की अब एक वजह सामने आ रही है। दरअसल इजरायल और सीरिया के बीच पहली बार सीधी वार्ता हुई है। यही नहीं खबर है कि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने पर कुछ ऐलान हो सकता है। इसे अब्राहम अकॉर्ड के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है।
मध्य पूर्व के मामलों के जानकारों का कहना है कि शायद अमेरिका ने सीरिया से सभी बैन हटाने को लेकर पहले से ही ऐसी डील की होगी कि उसे इजरायल से रिश्ते सुधारने होंगे। अब उसी दिशा में सीरिया बढ़ता दिख रहा है। यदि ऐसा कुछ हुआ तो वैश्विक राजनीति में यह बड़ा बदलाव होगा क्योंकि सीरिया और इजरायल एक तरह से 1948 से ही जंग में हैं। इस तरह 77 साल पुरानी दुश्मनी खत्म होगी। अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच सीधी वार्ता हुई है। यह वार्ता भी बैकचैनल से संयुक्त अरब अमीरात ने कराई है, जो 2020 से ही अब्राहम अकॉर्ड शामिल है।
अब तक अब्राहम अकॉर्ड के मेंबर बन चुके हैं ये देश
इसीलिए कहा जा रहा है कि सीरिया का इजरायल से रिश्ते सामान्य करना अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार होगा। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में अब्राहम अकॉर्ड कराया था। तब यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान इसमें शामिल हुए थे। पहली बार इस्लामिक मुल्कों ने इजरायल को मान्यता दी थी और उससे रिश्ते सामान्य किए थे। अब ट्रंप प्रशासन चाहता है कि इसका विस्तार हो जाए ताकि मिडल ईस्ट में शांति कराई जा सके। ट्रंप ने मई में ही तीन मिडल ईस्ट देशों का दौरा किया था। इसके अलावा सऊदी अरब में सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शारा से मुलाकात की थी।
क्या इजरायल और सीरिया के रिश्ते सामान्य होना इतना आसान है?
इन चर्चाओं को लेकर सीरिया के लेखक रॉबिन यासिन कसाब ने कहा कि ऐसा होना मुझे को मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि सीरिया के इजरायल के करीब जाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि 1967 की जंग से रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। इजरायल ने हमारे हिस्से वाले गोलान हाइट्स पर कब्जा जमा रखा है। उस पर भी कुछ फैसला हो, तभी ऐसा संभव है। वहीं इजरायली रक्षा मंत्री गिदिओन सार का कहना है कि हम सीरिया से समझौता करेंगे, लेकिन गोलान हाइट्स के मसले पर पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि सीरिया में अब समझौते को सही मानने वालों की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह है कि लंबे अरसे से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे लोग अब हालात सामान्य होते देखना चाहते हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved