
शाजापुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शाजापुर के कालापीपल क्षेत्र के इमलीखेड़ा गांव (Imlikheda village) में सोमवार सुबह वन विभाग (Forest Department) ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) की टीम की मदद से हेलीकॉप्टर के जरिए हिरणों (Deer) को पकड़ने का अभियान चलाया. हेलीकॉप्टर से हांका लगाकर हिरणों के झुंड को धीरे-धीरे बोमा क्षेत्र की ओर लाया गया, जहां से वह आखिर में बोमा के आखिर हिस्से पर खड़े वाहनों में पहुंचे. शाजापुर जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर कालापीपल के इमली खेडा गांव के जंगल में साउथ अफ्रीका और वन विभाग की टीम ने 6 दिन पहले से ही अपना जमावड़ा लगा लिया था.
कालापीपल तहसील के किसानों को हिरण और नीलगाय से छुटकारा दिलाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने ग्राउंड पर योजना बनाते हुए साउथ अफ्रीका की टीम को काम सौंपा है. साउथ अफ्रीका से 15 लोगों की टीम शाजापुर के शुजालपुर और कालापीपल में 15 अक्टूबर को पहुंचे और उन्होंने 6 दिन का समय लेकर आसपास के जंगली इलाकों का जायजा लिया और 20 अक्टूबर से हिरण और नीलगाय का रेस्क्यू बोमा पद्धति से शुरू किया. इस रेस्क्यू में साउथ अफ्रीका की टीम ने स्थानीय वन विभाग के सहयोग से अपना काम शुरू किया.
इस रेस्क्यू में साउथ अफ्रीका टीम की मदद करने के लिए प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया है, जिससे ऊपर से हिरण के झुंड और नीलगाय के झुंड को देखकर उन्हें भगाकर साउथ अफ्रीका और वन विभाग की टीम की ओर से बनाए गए पंडाल में लाने का काम किया जाएगा. इसके बाद वहां से रेस्क्यू कर इन हिरण और नीलगायों को मंदसौर जिले के गांधी सागर अभ्यारण में सुरक्षित ले जाया जाएगा.
दरअसल, किसानों की फसल को जीव काफी नुकसान पहुंचाते हैं. यह देश का पहला ऐसा रेस्क्यू अभियान होगा, जिसमें हेलीकॉप्टर के साथ-साथ विदेशी टीम काम कर रही हैं. इस रेस्क्यू को बोमा पद्धति का नाम दिया गया है. इसमें जिले के प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल को भी लगाया गया है. इस ऑपरेशन को ब्लैकबक का नाम दिया है. रेस्क्यू टीम पूरे 21 दिन जिले के अलग अलग जगह पर भ्रमण कर रेस्क्यू करेगी. हेलीकाप्टर से रेस्क्यू कर 45 हिरण को गांधी सागर अभ्यारण के लिए रवाना किया गया है. दिन में गर्मी ज्यादा होने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार से फिर शुरू हुआ, जो 21 दिन तक चलेगा.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved