
इंदौर। पंजीयन विभाग ने हुकमचंद मिल की जमीन की रजिस्ट्री के मामले में स्टाम्प ड्यूटी की चोरी का प्रकरण दर्ज कर लिया है। इंदौर के इतिहास में यह पहला मामला है, जब सरकारी विभाग द्वारा दूसरे सरकारी विभाग को की गई जमीन की रजिस्ट्री के मामले में स्टाम्प ड्यूटी की चोरी का प्रकरण दर्ज हुआ है।
इंदौर में हुकमचंद मिल की जमीन की रजिस्ट्री मप्र गृह निर्माण मंडल ने 218 करोड़ रुपए कीमत बताकर नगर निगम इंदौर से अपने पक्ष में करवाई थी। उक्त रजिस्ट्री में स्टाम्प ड्यूटी भी इसी कीमत पर लगाई गई, जबकि उच्च न्यायालय इंदौर भी स्पष्ट कर चुका है कि गृह निर्माण मंडल द्वारा 421 करोड़ की देनदारियां तथा हुकमचंद मिल मजदूरों की बकाया राशि भी इसमें शामिल है। इससे स्पष्ट है कि संपत्ति का बाजार मूल्य 421 करोड़ रुपए है। नगर निगम ने जो रजिस्ट्री गृह निर्माण मंडल पक्ष में की उसमें इस तथ्य को छुपाया गया। इस मामले का खुलासा अग्निबाण द्वारा पिछले दिनों प्रकाशित किए गए समाचारों के माध्यम से किया गया था। उस समय तो मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल, नगर निगम और पंजीयन विभाग द्वारा इस मामले में कोई चिंता नहीं पाली गई थी। इस संपूर्ण मामले की शिकायत मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट प्रमोदकुमार द्विवेदी ने लोकायुक्त एवं राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को की। यह शिकायत तथ्यात्मक सबूत के साथ की गई, जिसकी जांच चल रही है।
इसी बीच पंजीयन विभाग की उपपंजीयक ज्योति रावत ने स्वयं उक्त पंजीबद्ध दस्तावेज की अपने स्तर पर जांच की और स्टाम्प ड्यूटी चोरी का प्रकरण दर्ज करके जिला पंजीयक कार्यालय को भेजा है। स्टाम्प एक्ट की धारा 48 ख में प्रकरण दर्ज होने पर तत्कालीन अपर आयुक्त लता अग्रवाल तथा गृह निर्माण मंडल को अब जिला पंजीयक कार्यालय पर भी दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा, जबकि उपपंजीयक ने साक्ष्य, अर्थात् उच्च न्यायालय आदेश, गृह निर्माण मंडल द्वारा चुकाई देनदारियां प्रकरण में नस्तीबद्ध की हैं। इस मामले में करीब 19 करोड़ से अधिक की राजस्व हानि हुई है और संभवत: मप्र में यह पहला प्रकरण होगा, जिसमें सरकार के दो विभागों ने सरकार के तीसरे विभाग को हानि पहुंचाई है। इसके साथ ही यह इंदौर के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा स्टाम्प ड्यूटी चोरी का मामला बन गया है।
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