
इन्दौर। सांवेर रोड की एक कंपनी में क्लर्क का काम करने वाले एक व्यक्ति को दस दिन तक डिजिटल अरेस्ट करने का मामला सामने आया है। उससेे सीबीआई अफसर बनकर अलग-अलग किश्तों में 27 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए गए। क्राइम ब्रांच ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सांवेर रोड की एक निजी कंपनी में काम करने वाले 62 साल के क्लर्क को 20 नंवम्बर की शाम को वाट्सएप कॉल आया और कहा गया कि मैं सीबीआई अफसर आनंद बोल रहा हूं। तुम्हारी सिम और आधार कार्ड का उपयोग मनी लांड्रिंग में हुआ है। तुमको गिरफ्तार किया जा सकता है।
फिर कहा गया कि तुम्हारे बैंक खाते, प्रापर्टी और गोल्ड की जांच करना होगी। इस पर क्लर्क ने कहा कि मेरे नाम से कोई दूसरी सिम नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि तुम यदि जांच में सहयोग करोगे तो जांच के बाद तुम्हारी प्रापर्टी वापस मिल जाएगी। इसके लिए पहले उससे एफडी तुड़वाकर 10 लाख रुपए उनके बताए खाते में ट्रांसफर करवाए गए। इसके बाद म्युच्युअल फंड के 12 लाख 90 हजार ट्रांसफर करवाए गए। फिर घर के गोल्ड को गिरवी रखकर लोन लेने का कहा और फिर वह राशि भी खाते में ट्रांसफर करवाई गई।
इसके बाद बोले की तुम्हारी पत्नी के खाते की भी जांच होगी। इसमें से भी एक लाख 20 हजार की राशि ट्रांसफर करवा ली। इस तरह उसको 1 दिसम्बर तक दस दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। बाद में उन्होंने फोन बंद कर लिया। इस दौरान क्लर्क और उनकी पत्नी ने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जब उनके एक रिश्तेदार को उन्होंने बताया तो उनसे कहा गया कि उनके साथ ठगी हो गई है। इस पर वे क्राइम ब्रांच पहुंचे। क्राइम ब्रांच ने कल अज्ञात लोगों के खिलाफ 27 लाख 60 हजार की ठगी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लगातार क्राइम ब्रांच लोगों को डिजिटल अरेस्ट से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन अभी भी लोग साइबर ठगों का शिकार हो रहे हैं। क्राइम ब्रांच इस साल चार लोगों को डिजिटल अरेस्ट होने से बचा भी चुकी है।
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