
नई दिल्ली। राज्यसभा (Rajya Sabha) में ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) पर जारी चर्चा के दौरान बुधवार को अमित शाह (Amit Shah) के भाषण से पहले सदन में जोरदार हंगामा हुआ है। विपक्षी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अनुपस्थिति को लेकर सरकार पर हमला किया। इस बीच केंद्रीय मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के बीच तीखी बहस हुई है। खड़गे ने कहा है कि राज्यसभा में उपस्थित ना होकर पीएम मोदी ने सदन का अपमान किया है।
इससे पहले सदन में शाह का संबोधन शुरू होते ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल के सांसद पीएम मोदी द्वारा जवाब ना दिए जाने को लेकर नारे लगाने लगे। इसके बाद शाह ने उन्हें शांत करने की कोशिश करते हुए मजाकिया अंदाज में कहा कि पहले मुझ से ही निपट लो। शाह ने कहा, “प्रधानमंत्री जी अपने ऑफिस में हैं। आपको उनको ज्यादा सुनने का शौक है क्या? भई पहले मुझ से निपट लो, काहे को प्रधानमंत्री को बुला रहे हो। और तकलीफ होगी।”
खड़गे ने किया पलटवार
अमित शाह के इस बयान पर सदन में ठहाके भी लगे। इसके बाद विपक्षी सांसदों का शोर बढ़ने के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उनकी बातें रखने का मौका दिया दिया। खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में सवालों का जवाब ना देकर सदन का अपमान किया है। उन्होंने कहा, “सदन के सदस्यों की यह पहले से ही डिमांड थी कि 16 घंटे चर्चा के बाद इस सदन में प्रधानमंत्री आकर अपनी बातें रखेंगे और सवालों के जवाब देंगे।”
उन्होंने आगे अमित शाह को संबोधित करते हुए कहा, “हम ये नहीं कह रहे कि आप जवाब देने के काबिल नहीं हैं। हम आपको निपटाएंगे, आप हमें निपटाना, हम ये खेल भी खेलेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री उपस्थित होते हुए भी इस सदन में नहीं आते हैं तो यह सदन का अपमान है। सदन का अपमान ठीक नहीं है।”
जयराम रमेश भी भड़के
इस बीच कांग्रेस कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सदन के अपमान का आरोप लगाया है। विपक्ष के वॉकआउट के बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “प्रधानमंत्री द्वारा राज्यसभा का घोर अपमान किए जाने के विरोध में, INDIA गठबंधन के दल राज्यसभा से वाकआउट कर गए हैं। प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर एवं पहलगाम आतंकी हमले पर 16 घंटे लंबी बहस के अंत में न केवल जवाब देने से इनकार किया, बल्कि सदन में उपस्थित होना तक उचित नहीं समझा।”
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