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महाकाल में अलग से बनेगा नया Protocol Office

September 05, 2021

  • वीआईपी और प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को घर बैठे सौ रुपए में मिल जाएगी ई पास

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल सहित भस्मार्ती दर्शन आदि पर समिति ने शुल्क लगाया है। कल दिनभर हिंदूवादी संगठन और अन्य लोग इसका विरोध करते रहे। इसी बीच मंदिर समिति अब महाकाल में अलग से नया प्रोटोकॉल कार्यालय खोलने की तैयारी कर रही है। इसके जरिये वीआईपी और प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को घर बैठे सौ रुपए जमा करने पर ई पास मिल जाएगा।
उल्लेखनीय है कि कल महाकाल की शाही सवारी निकलेगी और परसों मंगलवार से भस्मार्ती दर्शन की ऑनलाईन बुकिंग शुरू कर दी जाएगी। इसके साथ ही यह भी तय हुआ है कि क्षमता से आधे लोगों को भस्मार्ती में शामिल किया जाएगा। एक व्यक्ति 5 से ज्यादा लोगों की ऑनलाईन बुकिंग नहीं करा सकेगा और बुकिंग कराने वाले व्यक्ति को 200 रुपए भेंट रसीद कटवाना अनिवार्य रहेगी।


इसी तरह वीआईपी और प्रोटोकॉल के माध्यम से दर्शन करने वाले व्यक्तियों से भी सौ रुपए का शुल्क लिया जाएगा। इस व्यवस्था का कल दिनभर विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल से लेकर कांग्रेस पार्टी तक के लोगों ने विरोध किया। विरोध कर रहे लोगों ने इस व्यवस्था को न केवल धर्म के खिलाफ बताया बल्कि मंदिर समिति और व्यवस्थापकों पर मंदिर का व्यवसायी करण करने तक के आरोप लगाए। इधर महाकाल मंदिर समिति वीआईपी और प्रोटोकॉल के पात्र श्रद्धालुओं के लिए अलग से नया प्रोटोकॉल ऑफिस बनाने की तैयारी कर रही है। इसका नया कार्यालय हरिफाटक ब्रिज के नीचे ग्रामीण हाट बाजार परिसर के पास तैयार हो रहा है। बताया जा रहा है कि प्रोटोकॉल कार्यालय बनने के बाद इस दायरे में आने वाले श्रद्धालुओं को कई सुविधाएँ मिलेंगी। नये कार्यालय से पास जारी किए जाएंगे। कोई भी वीआईपी श्रद्धालु वहाँ जाकर सौ रुपए जमाकर पास प्राप्त कर सकेंगे और इसके जरिये उन्हें सीधे प्रोटोकॉल के तहत प्रवेश मिल जाएगा। यहाँ यह भी सुविधा रहेगी कि श्रद्धालु चाहें तो ऑनलाईन के माध्यम से भी सौ रुपए में ई पास ले सकेंगे। ई पास में नाम, टोकन नंबर से लेकर प्रवेश द्वार का नंबर भी अंकित होगा। श्रद्धालु ऑनलाईन प्रिंट लेकर भी ई पास से प्रवेश कर सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि इससे प्रोटोकॉल के नाम पर चल रही अनियमितता पर लगाम लगेगी और लोगों को इधर उधर भटकना भी नहीं पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि वीआईपी और प्रोटोकॉल के दायरे में महाकाल में ज्यादातर साधु, संत, प्रशासनिक अधिकारी, नेता और मीडिया सहित पुजारी परिवार से जुड़े लोग ज्यादा आते हैं।

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