
इंदौर। ब्रजेश्वरी संस्था की कालोनी ब्रजेश्वरी, ग्रेटर ब्रजेश्वरी, ब्रजेश्वरी एक्सटेंशन, ब्रजमोहिनी में प्लाटों की अफरा-तफरी से लेकर एक-एक प्लाट की डबल रजिस्ट्री, गैरसदस्यों को भूखंड की बिक्री और शासकीय भूमि पर प्लाट बेचने जैसे गंभीर आरोपों के चलते जेल की हवा खा चुका ब्रजेश्वरी संस्था का कर्ताधर्ता नितिन अग्रवाल अभी भी घोटालों से बाज नहीं आ रहा है। वर्ष 2020-21 से ही भंग पड़ी ब्रजेश्वरी अपार्टमेंट को-आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष द्वारा अभी भी संस्था के भूखंडों की रजिस्ट्री की जा रही है।
ब्रजेश्वरी अपार्टमेंट को-आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की ग्राम पीपल्याहाना के पटवारी हल्का नंबर 15/2 में स्थित सर्वे नंबर 434 की भूमि पर श्रीजी वाटिका के नाम से एक कालोनी स्थित है। उक्त संस्था में वर्ष 2017 में हुए चुनाव में प्रेमचंद बाबूलाल मोघवाल को अध्यक्ष चुना गया था, जिसका कार्यकाल 2022 में खत्म हो गया था। इसके बाद संस्था में 1 सितंबर 2022 से केके जामरे प्रशासक के रूप में नियुक्त किए गए। तब से लेकर आज तक संस्था में प्रशासक की नियुक्ति है। इसके बावजूद अग्रवाल के गुर्गे प्रेमचंद द्वारा भूखंडों की अवैध रूप से रजिस्ट्री की जा रही है। इस तरह का एक मामला उजागर हुआ है, जिसमें प्रेमचंद ने 9 अक्टूबर 2024 को मनीषा पिता विजय मौर्य निवासी डीएस-20 स्कीम नंबर 74-सी विजय नगर को श्रीजी वाटिका के 30 फीट बाय 50 फीट, यानी 1500 फीट के भूखंड क्रमांक 12 की रजिस्ट्री करा दी, जिसका बाजार मूल्य ही 43 लाख 55 हजार 600 रुपए है, लेकिन उसका पंजीयन मात्र 30 हजार रुपए में करा दिया गया, जबकि उक्त विक्रय पत्र के पंजीयन के लिए ही 3 लाख 17 हजार 832 रुपए की राशि चुकाई गई। हैरत की बात तो यह है कि 43 लाख के भूखंड के मात्र 30 हजार रुपए में कराए गए पंजीयन की राशि भी किस तरह प्राप्त की गई इसका विक्रय पत्र में कोई उल्लेख नहीं है।
विक्रय पत्र को पंजीयन कराने वाले प्रेमचंद मोघवाल पिता बाबूलाल मोघवाल न तो संस्था के अध्यक्ष हैं और न ही उक्त भूखंड के पंजीयन के लिए संस्था की कोई मंजूरी ली गई। उक्त संस्था पर प्रशासक की नियुक्ति होने के बावजूद न केवल भूखंड का पंजीयन कर दिया गया, बल्कि लाखों रुपए का लेन-देन बाले-बाले कर दिया गया। वर्तमान में उक्त भूखंड की कीमत एक करोड़ से भी ज्यादा है, लेकिन प्रेमचंद और प्रशासक ने सांठगांठ कर उक्त भूखंड न केवल बेच डाला, बल्कि जिस महिला के नाम पर उक्त भूखंड की रजिस्ट्री कराई गई है, उसने भी अन्य को भूखंड बेचने का सौदा कर बयाने की रकम प्राप्त कर ली है।
फर्जी सदस्यता सूची से चुनाव की तैयारियां
उक्त संस्था में 1 सितम्बर 2022 से केके जामरे प्रशासक के रूप में नियुक्त हैं, लेकिन संस्था में घोटालों के लिए फिर से चुनाव कराए जाने की तैयारी की जा रही है। उसके लिए जामरे ने फर्जी सदस्यता सूची को भी अंतिम रूप देकर चुनाव की परमिशन के लिए भोपाल भेज दिया। प्रशासक द्वारा जिस सदस्यता सूची को अंतिम रूप दिया गया, उसमें 503 नाम शामिल हैं। इस सूची को देखने के बाद ही फौरी तौर पर यह नजर आता है कि न केवल एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम दर्ज हैं, बल्कि एक नाम दो-दो, तीन-तीन जगह भी नजर आ रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि संस्था में पर्दे के पीछे से काम कर रहे भूमाफिया नितिन अग्रवाल ने सहकारिता निरीक्षक से भी सांठगांठ कर सूची को अंतिम रूप दिला दिया। इसके साथ ही संस्था की एक और सूची, जिसमें संस्था के सदस्यों को आवंटित भूखंडों की जानकारी दी गई है, इस सूची से भी कई उन लोगों के नाम गायब हैं, जिन्हें भूखंड की रजिस्ट्री करा दी गई है। इससे साफ जाहिर होता है कि छिपाए गए भूखंडों को चुनाव के बाद संस्था के पदाधिकारी दोबारा बेचने की तैयारी में हैं।
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