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भारत पर पैसों की बारिश! अमेरिका की बड़ी कंपनियों ने खोल दी तिजोरी

December 28, 2025

डेस्क: दुनिया की महाशक्ति अमेरिका (America) और भारत (India) के बीच व्यापारिक रिश्तों (Trade Relations) में भले ही उतार-चढ़ाव आते रहें, या टैरिफ को लेकर थोड़ी बहुत खींचतान हो, लेकिन जब बात भविष्य के बाजार की आती है, तो अमेरिकी कंपनियों का भरोसा सिर्फ और सिर्फ भारत पर है. भारत अब महज एक बाजार नहीं, बल्कि दुनिया के डिजिटल नक्शे पर सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभर रहा है. रिपोर्ट बताती है कि सिलिकॉन वैली की दिग्गज कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेज़न और मेटा भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर (Digital Infrastructure) में पानी की तरह पैसा बहाने को तैयार हैं.

आंकड़ों पर नजर डालें तो यह निवेश भारत के इतिहास में किसी एक सेक्टर में होने वाला सबसे बड़ा निवेश साबित हो सकता है. कुल मिलाकर यह राशि 67.5 अरब डॉलर (करीब 5.6 लाख करोड़ रुपये) के पार जाने का अनुमान है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा अमेज़न का है, जो अगले पांच सालों में अपने क्लाउड बिजनेस और डेटा सेंटर के लिए करीब 35 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है.

वहीं, माइक्रोसॉफ्ट ने एआई (AI) प्रोजेक्ट्स और डेटा सेंटर के लिए 17.5 अरब डॉलर निवेश करने का ऐलान किया है. गूगल भी पीछे नहीं है; उसने अडानी ग्रुप और भारती एयरटेल जैसे भारतीय दिग्गजों के साथ साझेदारी कर डेटा सेंटर विकसित करने के लिए 15 अरब डॉलर का वादा किया है. फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा भी अपने डेटा सेंटर स्थापित करने की रेस में शामिल है. यानी सिलिकॉन वैली का हर बड़ा खिलाड़ी भारत में अपनी जड़ें गहरी करना चाहता है.


अब सवाल यह उठता है कि आखिर अचानक भारत पर इतना प्रेम क्यों उमड़ रहा है? इसका जवाब डेटा के खेल में छिपा है. मुंबई स्थित एएसके वेल्थ एडवाइजर्स के सोमनाथ मुखर्जी का कहना है कि भारत आज दुनिया में डेटा का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है. पूरी दुनिया का करीब 20 फीसदी डेटा अकेले भारत में इस्तेमाल होता है.

हैरानी की बात यह है कि इतना डेटा खपत करने के बावजूद, हमारे पास उसे स्टोर करने की क्षमता (डेटा सेंटर कैपेसिटी) अमेरिका के मुकाबले सिर्फ 5 फीसदी ही है. डेटा यहां पैदा हो रहा है, लेकिन उसे संभालने के लिए घर (सर्वर) कम हैं. यही वह बड़ा अंतर है जिसे भरने के लिए विदेशी कंपनियां दौड़ पड़ी हैं. साथ ही, भारत का विशाल इंटरनेट यूजर बेस और तेजी से बढ़ता डिजिटल पेमेंट सिस्टम इन कंपनियों को लुभा रहा है.

इस भारी-भरकम निवेश के पीछे एक बड़ा कारण भारत सरकार की नीतियां भी हैं. सरकार लंबे समय से ‘डेटा लोकलाइजेशन’ पर जोर दे रही है. आसान भाषा में कहें तो सरकार चाहती है कि भारतीयों का डेटा भारत की सीमाओं के भीतर ही स्टोर हो, न कि विदेश के किसी सर्वर पर. बैंकिंग और मैसेजिंग सेक्टर में इसके नियम पहले से सख्त हैं.

विदेशी कंपनियों को समझ आ गया है कि अगर भारत में लंबा बिजनेस करना है, तो उन्हें यहीं सर्वर लगाने होंगे. यही वजह है कि हैदराबाद जैसे शहर अब डेटा सेंटर के नए हब बन रहे हैं. वहां की सरकार ने बिजली, पानी और पॉलिसी के मोर्चे पर कंपनियों को काफी सहूलियतें दी हैं, जिससे तटीय इलाकों और बड़े शहरों में डेटा सेंटर का जाल बिछ रहा है.

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