
इंदौर। सड़क सुरक्षा समिति जिला प्रशासन, परिवहन विभाग, इंदौर यातायात पुलिस, ने बैटरी रिक्शा संचालन को 10 सेक्टर में बांटा गया है जिसका विरोध आम बैटरी रिक्शा चालक कर रहे हैं। इस निर्णय को लेकर सभी में ऑटोचालकों में काफी आक्रोश है। इस निर्णय को लेकर महासंघ ने महापंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में शहर के ऑटो रिक्शा चालक शामिल हुए थे। सभी ने इंदौर को 2 सेक्टर में बांटने का सुझाव दिया था, जिसे पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में बांटा जाए, ताकि ऑटो रिक्शा का संचालन हो सके। रिक्शा चालकों पर प्रशासन द्वारा मनमाने निर्णय थोपने के उद्देश्य से यातायात पुलिस चालानी कार्यवाही कर मानसिक दबाव बना रही है, जिसका हम विरोध करते है। इस मुद्दे को लेकर 12 जनवरी को बैटरी ऑटो रिक्शा चालक अपना व्यापार व्यवसाय बंद कर हड़ताल पर करेंगे और गांधी हॉल पर एकत्रित होकर जंगी प्रदर्शन कर कमीश्नर को ज्ञापन भी सौंपेंगे। यह जानकारी इंदौर बैटरी ऑटो रिक्शा चालक महासंघ संस्थापक अध्यक्ष राजेश बिड़कर, श्याम कुशवाह, रोहित यादव, सुमित साहू, प्रदीप कोण्डला, आदित्य पवार ने इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।
श्री बिड़कर ने बताया कि यह सब यातायात सुधार के लिए नहीं हो रहा सिर्फ सिटी बसों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस मामले को लेकर हम प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी मिलेंगे। वर्तमान में 10500 बैटरी ऑटो रिक्शा का संचालन इंदौर में हो रहा है। इंदौर को 10 सेक्टर में बांट दिया जाता है तो किराए का बोझ बढ़ेगा आम लोगों पर पड़ेगा। 10 सेक्टर में विभाजित करने से प्रत्येक मार्ग पर 1000 बैटरी ऑटो रिक्शा संचालन होगा जिससे यातायात ज्यादा प्रभावित होगा। श्री बिड़कर ने बताया कि अधिकारियों ने इंदौर को एक प्रयोगशाला बना दिया है। सबसे ज्यादा सिटी बसें ट्रेफिक को जाम करती हैं। बसें सवारी के लिए कहीं भी बीच रोड पर खड़ी हो जाती हैं, जो ट्रैफिक जाम करती हैं। बैटरी ऑटो रिक्शा के लिए कहीं भी यात्री प्रतीक्षालय नहीं है, संबसे पहले यात्री प्रतीक्षालय बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि इंदौर में 6000 से अधिक बैटरी ऑटो रिक्शा के इंश्योरेंस और फिटनेस नहीं है इसे पूर्ण करने के लिए एक माह का समय भी महासंघ ने मांगा है। नशे में और बिना कागज गाड़ी चलाने, नाबलिग बच्चों द्वारा बैटरी रिक्शा का संचालन करने के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होना चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि सभी ऑटो चालकों को वर्दी अनिवार्य करे, ताकि उनकी पहचान बन सके।
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