img-fluid

कर्नाटक की जमीन में छिपा है सोना का भंडार, ड्रिलिंग के लिए मंजूरी का इंतजार

December 14, 2025

नई दिल्ली। कर्नाटक में सोने (Gold) का एक बहुत बड़ा भंडार मिला है। यह भंडार इतना कीमती है कि इसे अब तक के सबसे बड़े खजानों में गिना जा रहा है। यह कर्नाटक के कोप्पल जिले (Koppal district of Karnataka) में है। यहां सोने की मात्रा 12 से 14 ग्राम प्रति टन है। यह मात्रा आम तौर पर सोने की खदानों के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली मात्रा से 4 से 7 गुना ज्यादा है। इतना ही नहीं, रायचूर जिले के अमृतेश्वर ब्लॉक में बैटरी के लिए जरूरी लिथियम के भी अंश मिले हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या है कि यह सारा खजाना संरक्षित जंगलों के अंदर है। इसलिए इसे अभी निकाला नहीं जा सकता।



एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के खान और भूविज्ञान विभाग ने नवंबर 2025 में इन खोजों की पुष्टि की है। यह खोज 65 ब्लॉकों में किए गए एक बड़े सर्वे का हिस्सा है, जो कुल 6 लाख हेक्टेयर इलाके में फैला है। कोप्पल के अमरापुर ब्लॉक से मिले शुरुआती नतीजों में सतह के नमूनों में 14 ग्राम प्रति टन तक सोना पाया गया है। यह वह स्तर है जिससे खदानें फायदेमंद मानी जाती हैं, जो कि 2 से 3 ग्राम प्रति टन है। रायचूर में लिथियम वाले पेग्माटाइट चट्टानों का पहली बार पता चला है। इससे कर्नाटक भी उन राज्यों की सूची में शामिल हो गया है जहां लिथियम पाया गया है। इस सूची में पहले से जम्मू और कश्मीर और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।

रोजाना करोड़ों रुपये की कमाई
अगर इन खदानों की गहराई में भी सोने की मात्रा 8 से 10 ग्राम प्रति टन बनी रहती है, तो 1 लाख टन प्रति वर्ष की एक खदान हर दिन 25 से 30 किलोग्राम सोना निकाल सकती है। इसकी कीमत करोड़ों रुपये होगी। यानी इन खदानों से निकले सोने से रोजाना करोड़ों रुपये की कमाई हो सकती है।

मंत्रालयों से मंजूरी का इंतजार
इस खदानों से सोना और लिथियम निकालने के लिए कई अड़चनें सामने आनी है। यह जगहें रिजर्व फॉरेस्ट (आरक्षित वन) और इको-सेंसिटिव जोन (पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र) के अंतर्गत आती हैं। ऐसे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से स्टेज-I की मंजूरी के बिना 10 मीटर से ज्यादा गहराई में ड्रिलिंग की इजाजत नहीं है। और यह मंजूरी अभी तक नहीं मिली है।

स्टेज-I की वन मंजूरी के लिए राज्य सरकार की सिफारिश और MoEFCC की मंजूरी की जरूरत होती है, जो वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत आती है। वहीं स्थानीय वन अधिकारी वन्यजीव गलियारों, भूजल पुनर्भरण क्षेत्रों और आदिवासी बस्तियों का हवाला दे रहे हैं। पर्यावरण से जुड़ी गैर-सरकारी संस्थाएं (NGOs) और सामुदायिक समूह पहले ही आपत्ति जता चुके हैं। उनका कहना है कि पश्चिमी घाट से सटे इस इलाके के पर्यावरण को नुकसान होगा।

Share:

  • पुर्तगाल के लिए निकले गुजरात के परिवार का लीबिया में अपहरण, फिरौती में मांगे 2 करोड़ रुपये

    Sun Dec 14 , 2025
    अहमदाबाद। गुजरात (Gujarat) के मेहसाणा जिले (Mehsana district) से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. पुर्तगाल (Portugal) में बसने का सपना लेकर निकले एक दंपती और उनकी तीन साल की बेटी को लीबिया (Libya) में अगवा कर लिया गया. अपहरणकर्ताओं ने परिवार की रिहाई के बदले दो करोड़ रुपये की फिरौती (Ransom […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved