नई दिल्ली। कर्नाटक में सोने (Gold) का एक बहुत बड़ा भंडार मिला है। यह भंडार इतना कीमती है कि इसे अब तक के सबसे बड़े खजानों में गिना जा रहा है। यह कर्नाटक के कोप्पल जिले (Koppal district of Karnataka) में है। यहां सोने की मात्रा 12 से 14 ग्राम प्रति टन है। यह मात्रा आम तौर पर सोने की खदानों के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली मात्रा से 4 से 7 गुना ज्यादा है। इतना ही नहीं, रायचूर जिले के अमृतेश्वर ब्लॉक में बैटरी के लिए जरूरी लिथियम के भी अंश मिले हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या है कि यह सारा खजाना संरक्षित जंगलों के अंदर है। इसलिए इसे अभी निकाला नहीं जा सकता।
रोजाना करोड़ों रुपये की कमाई
अगर इन खदानों की गहराई में भी सोने की मात्रा 8 से 10 ग्राम प्रति टन बनी रहती है, तो 1 लाख टन प्रति वर्ष की एक खदान हर दिन 25 से 30 किलोग्राम सोना निकाल सकती है। इसकी कीमत करोड़ों रुपये होगी। यानी इन खदानों से निकले सोने से रोजाना करोड़ों रुपये की कमाई हो सकती है।
मंत्रालयों से मंजूरी का इंतजार
इस खदानों से सोना और लिथियम निकालने के लिए कई अड़चनें सामने आनी है। यह जगहें रिजर्व फॉरेस्ट (आरक्षित वन) और इको-सेंसिटिव जोन (पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र) के अंतर्गत आती हैं। ऐसे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से स्टेज-I की मंजूरी के बिना 10 मीटर से ज्यादा गहराई में ड्रिलिंग की इजाजत नहीं है। और यह मंजूरी अभी तक नहीं मिली है।
स्टेज-I की वन मंजूरी के लिए राज्य सरकार की सिफारिश और MoEFCC की मंजूरी की जरूरत होती है, जो वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत आती है। वहीं स्थानीय वन अधिकारी वन्यजीव गलियारों, भूजल पुनर्भरण क्षेत्रों और आदिवासी बस्तियों का हवाला दे रहे हैं। पर्यावरण से जुड़ी गैर-सरकारी संस्थाएं (NGOs) और सामुदायिक समूह पहले ही आपत्ति जता चुके हैं। उनका कहना है कि पश्चिमी घाट से सटे इस इलाके के पर्यावरण को नुकसान होगा।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved