
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच साल 2026 में युद्ध (War in 2026) हो सकता है. यह चेताया है अमेरिका (America) के एक थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (CFR) ने. थिंक टैंक ने अपनी ‘कॉन्फ्लिक्ट्स टू वॉच इन 2026’ नाम की रिपोर्ट में कहा है कि बढ़ती आतंकी गतिविधियों के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से युद्ध होने की संभावना है.
बता दें, भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने में भी चार दिनों तक झड़प हुई थी. इस दौरान एक दूसरे की तरफ ड्रोन और मिसाइलें दागी गई थीं. पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया था. इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी. इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तानी सेना के कई ढांचों को तबाह कर दिया था. इसके बाद युद्धविराम का ऐलान किया गया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, जानकारी सामने आई है कि इस सर्दी में जम्मू क्षेत्र में करीब 30 से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी छिपे हुए हैं.
युद्धविराम के बावजूद, भारत और पाकिस्तान दोनों देश तेजी से हथियार खरीद रहे है. भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद ने हाल ही ड्रोन, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और गाइडेड बमों समेत रक्षा उपकरण खरीदने के लिए 79,000 करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी दी है. इसी तरह, पाकिस्तान नए ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम के लिए तुर्की और चीन से बातचीत कर रहा है. पाकिस्तान ये फैसला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मुंह की खाने के बाद लिया है.
इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान की एक और दूसरे देश के साथ भी तनाव की ओर इशारा किया है. इसमें कहा गया है कि 2026 में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्ध की भी संभावना है. इसके पीछे की वजह बताई गई है सीमा पार से बढ़ते उग्रवादी हमलों को. अक्तूबर महीने में पाकिस्तान और तालिबान के बीच काफी तनातनी हो गई थी. दोनों तरफ से काफी गोलीबारी हुई थी. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर काबुल में बमबारी करने का आरोप लगाया था. वहीं, इस्लामाबाद का कहना था कि तालिबान ने उस पर हमला करने वाले आतंकियों को शरण दे रखी है. इसके बाद से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों पर असर पड़ा है.
बता दें, सोमवार को तीनों सेना के हथियारों और दूसरे सामानों के लिए 79 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है. इसका मकसद तीनों सेना की ताकत को बढ़ाने और दूसरी क्षमताओं को ज्यादा से ज्यादा मजबूत करने का है. सबसे ज्यादा फोकस अगली पीढ़ी की एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम पर रहा. डिफेंस एक्यूशन कॉउंसिल की बैठक में यह भी चर्चा हुई कि अगर देश की तीनों सेना ज्यादा से ज्यादा मेक इन इंडिया के बने आर्मस का इस्तेमाल करेंगी तो दूसरे देश में स्वदेशी हथियारों के खरीदार की तादाद और ज्यादा बढ़ेगी.
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