
नई दिल्ली । निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने मतदाता सूची(voter list) में बदलाव के लिए ऑनलाइन आवेदनों(online applications) को और अधिक सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम(important step) उठाया है। अब नए नामांकन, नाम हटाने की आपत्ति या सुधार के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। यह बदलाव मतदाता सूची की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।
नया नियम क्या कहता है?
ईसी के अनुसार, फॉर्म 6 (नया नामांकन), फॉर्म 7 (नाम शामिल करने या हटाने की आपत्ति) और फॉर्म 8 (सुधार) जैसे ऑनलाइन आवेदनों के लिए अब ‘ई-साइन’ प्रक्रिया के तहत आधार-आधारित ओटीपी सत्यापन जरूरी होगा। आवेदक को अपना नाम, मोबाइल नंबर (स्वयं या रिश्तेदार जैसे पिता, माता, पति या कानूनी अभिभावक का) और ईपीआईसी नंबर दर्ज करना होगा, जिसके बाद आधार रिकॉर्ड से विवरण मिलान किया जाएगा। यदि विवरण मेल नहीं खाते, तो आवेदन स्वीकार नहीं होगा।
यह सुधार अगस्त में तैयार किया गया था और सितंबर के दूसरे सप्ताह से लागू हो गया। ईसी के स्रोतों ने बताया कि यह कदम फर्जी आवेदनों को रोकने और मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
आधार न होने पर क्या विकल्प?
आधार कार्ड न होने वाले व्यक्तियों के लिए कोई चिंता की बात नहीं है। ऐसे मामलों में पारंपरिक कागजी फॉर्म भरकर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) या बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) के पास व्यक्तिगत रूप से जमा किए जा सकते हैं। ईसी ने स्पष्ट किया है कि यह नियम केवल ऑनलाइन प्रक्रिया पर लागू है, ताकि डिजिटल सुविधा का लाभ उठाने वालों की पहचान सत्यापित हो सके।
आलंद मामले से प्रेरणा?
यह बदलाव हाल के विवादों के बीच आया है। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के आलंद क्षेत्र में कथित तौर पर 6,000 से अधिक मतदाताओं के नाम अनधिकृत रूप से हटाए जाने का आरोप लगाया था। ईसी ने इसका खंडन करते हुए कहा कि दिसंबर 2022 में प्राप्त 6,018 हटाने के आवेदनों में से केवल 24 वैध पाए गए, जबकि 5,994 गलत साबित हुए। 6 सितंबर, 2023 को आलंद ईआरओ ने एफआईआर दर्ज कराई थी और जांच एजेंसी को विवरण सौंप दिए गए थे। ईसी का कहना है कि नया आधार नियम ऐसी अनियमितताओं को भविष्य में रोकने में मददगार साबित होगा।
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