
भुवनेश्वर। ओडिशा हाईकोर्ट (Odisha High Court) ने 26 वर्षीय एक बलात्कार आरोपी को 22 साल की पीड़िता से विवाह करने के लिए एक महीने की अंतरिम जमानत (Interim bail) प्रदान की है। यह वही महिला है, जिसने आरोपी पर 16 वर्ष की उम्र में बलात्कार का आरोप लगाया था। कोर्ट ने इस मामले को बलपूर्वक या शोषणकारी नहीं बल्कि सहमति से बना संबंध (A Consensual Relationship) करार दिया है। न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही (Justice SK Panigrahi) ने अपने आदेश में कहा, “हालांकि आरोप अपने कानूनी स्वरूप में गंभीर हैं परंतु ये दो युवाओं के बीच सहमति से बने संबंध से उत्पन्न हुए हैं। दोनों एक-दूसरे के बहुत करीब थे और शिकायत दर्ज होने से पहले उनके बीच व्यक्तिगत संबंध थे।”
क्या है मामला?
आपको बता दें कि वर्ष 2019 से 2023 के बीच आरोपी और पीड़िता के बीच शारीरिक संबंध बने। ऐसा आरोप है कि शादी के वादे के आधार पर दोनों के बीच संबंध बने। पीड़िता का आरोप है कि वह दो बार गर्भवती हुई। दोनों बार आरोपी ने गर्भपात के लिए मजबूर किया। वर्ष 2023 में POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेजा गया था।
विवाह की सहमति पर दी गई जमानत
आरोपी ने हाल ही में कोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका दायर की थी। उसने कोर्ट को बताया कि अब दोनों परिवारों ने विवाह पर सहमति बन गई है। वकील ने बताया, “याचिकाकर्ता ने इस समझौते को स्वीकार किया है और जेल से रिहाई के बाद शादी करने का वचन दिया है।”
न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने अपने आदेश में कहा है कि सुलह की संभावना, पारिवारिक सहमति और दोनों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित पाया गया कि आरोपी को अस्थायी रूप से रिहा किया जाए। इससे न तो जांच की निष्पक्षता पर असर पड़े और न ही पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचे।
कोर्ट का फैसला संवेदनशील सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, लेकिन POCSO एक्ट नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों को सख्ती से दंडित करने के लिए बनाया गया है। चाहे संबंध सहमति से ही क्यों न बने हों। इस मामले में पीड़िता ने जब संबंध बनाए थे, तब वह नाबालिग (16 वर्ष) थी।
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