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एक्टर अशोक कुमार ने अपने जमाने में खरीदी थी फरारी कार, एक दिन में ही करनी पड़ी वापस

September 30, 2025

मुंबई। बॉलीवुड के ‘दादामुनि’ (Dadamuni) अशोक कुमार (Ashok Kumar) सिर्फ एक लीजेंड्री अभिनेता नहीं थे, बल्कि उनका जीवन अनगिनत रोचक और अनूठी कहानियों का खजाना था। उनके बारे में दो किस्से ऐसे हैं, जो उनकी सादगी और प्रतिभा को एक साथ दर्शाते हैं। एक ओर उनकी फरारी वाली कहानी है, जो बताती है कि रफ्तार से ज़्यादा उन्हें सुरक्षा प्यारी थी; वहीं दूसरी ओर, एक अभिनेता का डॉक्टर बन जाना, जो बिना किसी डिग्री के लोगों का इलाज करता था।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से 80 साल पहले, साल 1943 में, जब भारत में यातायात के साधन सीमित थे, एक अभिनेता ने फरारी खरीदी हो? यह किस्सा है दादामुनि अशोक कुमार का।

फिल्म ‘किस्मत’ की रिलीज से कुछ ही दिन पहले, फरारी की चर्चा सुनकर अशोक कुमार ने वह कार खरीद ली। मुंबई में अपनी नई ‘तूफानी’ सवारी लेकर वह अपने वर्ली स्थित घर से मलाड के बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो के लिए निकले। उस समय सड़कें खाली थीं, और इसका नतीजा यह हुआ कि इतनी लंबी दूरी तय करने में उन्हें सिर्फ 15 मिनट लगे! चौंकिए मत! आज के दौर में मुंबई की ट्रैफिक में यह दूरी तय करने में लगभग दो घंटे का समय लग जाता है।



लेकिन इस तूफानी रफ्तार का रोमांच अशोक कुमार को रास नहीं आया। उनकी बेटी, भारती जाफरी, ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अगले ही दिन अशोक कुमार वह फरारी वापस शोरूम को दे आए। इसकी वजह थी कार की बेतहाशा स्पीड।

अशोक कुमार के मन में यह डर बैठ गया था कि कहीं उनकी इस तेज रफ्तार गाड़ी से किसी मासूम को टक्कर न लग जाए, या फिर वह खुद किसी दुर्घटना का शिकार न हो जाएं। यानी रफ्तार का शौक उन्हें था, लेकिन अपनी और दूसरों की सुरक्षा उनके लिए सर्वोपरि थी।

अगर आपको लगता है कि अशोक कुमार की कहानी सिर्फ फिल्मों और कारों तक सीमित है, तो आप गलत हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि दादामुनि होम्योपैथी चिकित्सा के बहुत बड़े जानकार थे।

भले ही उनके पास कोई औपचारिक डिग्री नहीं थी, लेकिन उनकी समझ इतनी गहरी थी कि दूर-दूर से लोग अपनी बीमारियों का इलाज कराने उनके पास आते थे। उनकी नातिन, अभिनेत्री अनुराधा पटेल, ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि अशोक कुमार ने एक बार एक ऐसे व्यक्ति का गैंग्रीन तक ठीक कर दिया था, जिसे डॉक्टरों ने पैर काटने की सलाह दे दी थी!

उनकी इस प्रतिभा और जन-सेवा के चलते, मुंबई के एक अस्पताल ने तो अपने एक वार्ड का नाम तक ‘अशोक कुमार वार्ड’ रखा था। एक ऐसा अभिनेता जिसने न सिर्फ अपने अभिनय से लोगों का मनोरंजन किया, बल्कि अपनी होम्योपैथी की जानकारी से उनकी जान भी बचाई।

अशोक कुमार का जीवन यह सिखाता है कि महानता केवल बड़े पर्दे पर नहीं, बल्कि साधारण जीवन के अनूठे शौक और परोपकार में भी निहित होती है।

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