लाहोर । पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) में भारत संग तनावपूर्ण रिश्तों का असर अब बड़े पैमाने पर और आम जनमानस पर दिखने लगा है। वहां का बुनियादी ढांचा अब ढहने लगा है। इसकी बानगी देखने को मिली कराची स्थित जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Jinnah International Airport) पर, जहां मुसाफिरों को एक-एक बूंद पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। वहां बाथरूम में पानी की सप्लाई ठप हो गई है। इस सच्चाई को बयां किया है वहीं की एक मशहूर अभिनेत्री ने। जी हां, मशहूर पाकिस्तानी अभिनेत्री हिना ख्वाजा बयात ने कराची के जिन्ना अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पानी की भारी किल्लत के लिए अधिकारियों को आड़े हाथों लिया है।
गुरुवार को कराची एयरपोर्ट से पोस्ट किए गए एक वीडियो में हिना ख्वाजा बयात ने कराची के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर बुनियादी सुविधाओं की कमी पर अपनी निराशा और खीझ जाहिर की। उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब हमें अपने देश पर गर्व होना चाहिए, एयरपोर्ट के शौचालयों में पानी तक मयस्सर नहीं है।” बयात ने आगे कहा, “लोग वज़ू करना चाह रहे हैं, नमाज़ पढ़ना चाह रहे हैं, अपने बच्चों को वॉशरूम ले जाना चाह रहे हैं लेकिन वहां पानी ही नहीं है। यह शर्मनाक हालत है।”
बदइंतजामी पर भड़कीं पाक अभिनेत्री
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर वीडियो को कैप्शन देते हुए उन्होंने लिखा, “हम एक मुल्क के रूप में खराब सेवा, खराब सिस्टम, खराब प्रबंधन, खराब रखरखाव और अंतहीन सिस्टम और संस्थागत क्षति को इतना स्वीकार क्यों कर रहे हैं?” उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि हम हमेशा गलत को सही ठहराने की कोशिश करते हैं और आम नागरिक की रोजमर्रा की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देने के बजाय बेकार प्रयासों को प्राथमिकता देते हैं। अब समय आ गया है कि हम जिम्मेदारी लें और जश्न मनाने से पहले चीजों को ठीक करें।”
सिंधु जल समझौता स्थगित करने के बाद उपजे हालात
कराची इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यह स्थिति ऐसे समय में उत्पन्न हुई है, जब सिंधु जल संधि को लेकर भारत के साथ तनाव बढ़ता जा रहा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौता का स्थगित कर दिया है। इससे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर पानी का संकट गहरा गया है। दूसरी, तरफ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिम मुनीर ने गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि उनका देश जल के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं करेगा क्योंकि यह देश के 24 करोड़ लोगों के मूल अधिकारों से जुड़ा है।
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