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अडानी का एक और दिवालिया कंपनी पर दांव… ज्यादा भुगतान का प्रस्ताव रख वेदांता को छोड़ा पीछे

November 19, 2025

नई दिल्ली। अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने वेदांता (Vedanta) को पछाड़कर दिवालिया जयप्रकाश एसोसिएट्स (Bankrupt Jaiprakash Associates) (JAL) के अधिग्रहण के लिए लेनदारों का समर्थन हासिल कर लिया है। हालांकि सितंबर में हुई इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में वेदांता 17,000 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली के साथ सबसे आगे था, लेकिन लेनदारों ने अडानी एंटरप्राइजेज को चुना क्योंकि उसने तुरंत अधिक भुगतान का प्रस्ताव रखा था।

एक खबर के मुताबिक अडानी की बोली की कुल ‘नेट प्रेजेंट वैल्यू’ वेदांता के प्रस्ताव से लगभग 500 करोड़ रुपये कम थी। लेनदारों की एक समिति द्वारा तैयार स्कोर शीट में अडानी को सबसे अधिक अंक दिए गए, हालांकि कुछ बैंकों ने इस स्कोरिंग प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।


अधिग्रहण की दौड़ में अन्य दावेदार
इस अधिग्रहण की दौड़ में अडानी और वेदांता के अलावा डालमिया भारत, जिंदल पावर और PNC इन्फ्राटेक जैसी कंपनियां भी शामिल थीं। JAL के प्रमोटरों ने भी 18,000 करोड़ रुपये का सेटलमेंट ऑफर दिया था, लेकिन वे इसके लिए वित्तीय समर्थन साबित नहीं कर पाए।

विवाद और चुनौतियां
चूंकि अडानी सबसे ऊंची बोली लगाने वाला नहीं था, इसलिए लेनदारों के इस फैसले के कानूनी रूप से चुनौती दिए जाने की आशंका है। कंपनी को पिछले साल जून में दिवालिएपन की कार्यवाही के लिए स्वीकार किया गया था। कर्जदाताओं की समिति द्वारा तैयार की गई एक स्कोर शीट में अडानी एंटरप्राइजेज को सबसे अधिक अंक दिए गए थे। कुल 100 में से सबसे ऊंचे। हालांकि, कुछ बैंकों ने इस अंक प्रणाली (scoring mechanism) पर आपत्ति जताई है।

एनएआरसीएल सबसे बड़ा कर्जदाता
जयप्रकाश एसोसिएट्स पर कुल 55,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इन कर्जदाताओं में नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) सबसे बड़ा ऋणदाता है। कंपनी को जून पिछले साल दिवालियापन प्रक्रिया के तहत लाया गया था। इसका प्रशासन डेलॉइट समर्थित रेजोल्यूशन प्रोफेशनल भुवन मदान के पास है, जिन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

अदालत में चुनौती संभव
एक सूत्र ने कहा कि चूंकि अदाणी का प्रस्ताव सबसे ऊंची बोली नहीं था, इसलिए कर्जदाताओं का फैसला कानूनी रूप से चुनौती का सामना कर सकता है। हालांकि, अब तक अदालतें आमतौर पर यह मानती रही हैं कि ऋणदाताओं की व्यावसायिक समझ (commercial wisdom) अंतिम होती है।

प्रमोटर्स की आखिरी कोशिश
इस महीने की शुरुआत में ईटी ने बताया था कि जयप्रकाश एसोसिएट्स के प्रवर्तक मनोज गौड़ ने 18,000 करोड़ रुपये का समझौता प्रस्ताव पेश किया था ताकि कंपनी को दिवालियापन से बाहर निकाला जा सके। परंतु कर्जदाताओं को लगा कि गौड़ इस सौदे को वित्तीय रूप से साबित नहीं कर पाएंगे, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया गया।

जयप्रकाश समूह का विविध व्यवसाय
जयप्रकाश एसोसिएट्स, जेपी ग्रुप की प्रमुख कंपनी है। इसके कारोबार में सीमेंट, बिजली, इंजीनियरिंग, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट और खेल अवसंरचना जैसे क्षेत्र शामिल हैं। ग्रेटर नोएडा में इसका “स्पोर्ट्स सिटी” प्रोजेक्ट 1,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है।

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