
इंदौर। लोकसभा, विधानसभा चुनावों की तरह राज्य निर्वाचन आयोग भी स्थानीय निकायों के चुनाव में शपथ-पत्र लिए जाना अनिवार्य करेगा, जिसमें पार्षद या महापौर या नपा अध्यक्ष के उम्मीदवारों को अपनी चल-अचल सम्पत्तियों, आपराधिक रिकॉर्ड, शैक्षणिक योग्यता सहित अन्य आवश्यक जानकारियां देना पड़ेगी। इतना ही नहीं, चुनावी खर्च की राशि भी तय की जाएगी और रोजाना उसका हिसाब भी जमा कराना होगा।
जिस तरह चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कई वर्ष पूर्व उम्मीदवारों से नामांकन फॉर्म जमा करते वक्त शपथ-पत्र भी लेना शुरू किया है, जिसमें चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों की पूरी कुंडली रहती है, जिसमें लिए गए लोन, चल-अचल सम्पत्तियों, वाहनों, आभूषणों, बैंक खातों, लॉकरों के साथ शैक्षणिक योग्यता और आपराधिक रिकॉर्डों की जानकारी भी देना अनिवार्य है, जिससे मतदाताओं को यह पता लग सके कि उसका उम्मीदवार किन-किन मापदण्डों पर योग्य या अयोग्य है। अभी तक स्थानीय निकायों के चुनावों में इस तरह के शपथ-पत्र लेने के साथ चुनावी खर्च का ब्योरा देना अनिवार्य नहीं था।
अब लोकसभा-विधानसभा की तरह चुनावी खर्च की सीमा तय की जाएगी और साथ ही रोजाना प्रचार-प्रसार से लेकर अन्य सभी तरह के खर्चों का हिसाब-किताब भी लिया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस तरह का नोटिफिकेशन किया है। दरअसल, तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही नगरीय निकायों के चुनाव कराए गए थे और अब महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद् अध्यक्ष से लेकर पार्षद पद का चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों को भी अपनी पूरी जानकारी, नामांकन फॉर्म भरने के साथ देना पड़ेगी। यह भी बताना पड़ेगा कि आय का साधन क्या है और चुकाए जाने वाले टैक्स की राशि कौन जमा करता है। इसमें सोशल मीडिया अकाउंट, ई-मेल आईडी, मोबाइल नम्बर सहित अन्य ब्योरा भी शामिल रहता है। दो साल या इससे अधिक सजा वाले आपराधिक मामले उम्मीदवारों पर दर्ज हैं, इसका ब्योरा देने के साथ कोर्ट में अगर कोई प्रकरण विचाराधीन है तो उसकी भी जानकारी देना पड़ेगी। चल-अचल सम्पत्तियां, शेयर कम्पनियों या अन्य जगह किए गए निवेश का ब्योरा भी शपथ-पत्र के साथ देना होगा। साथ ही सरकारी विभागों की अगर कोई राशि बकाया है तो उसकी भी एनओसी लगेगी। जैसे निगम का सम्पत्ति कर, बिजली बिल, या किसी लोन की बकाया राशि की जानकारी भी देना पड़ेगी।
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