
नई दिल्ली। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव (RJD chief Lalu Prasad Yadav) ने रविवार को अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है और उनके ‘गैर-जिम्मेदाराना आचरण’ (‘Irresponsible behaviour) और पारिवारिक मूल्यों और सार्वजनिक शिष्टाचार से हटने का हवाला देते हुए पारिवारिक स्तर पर उनसे नाता तोड़ने का भी फैसला किया है।
तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर इस रिश्ते के बारे में दो बार फोटो के साथ पोस्ट किया और दोनों बार पोस्ट को डिलीट कर दिया. इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी फोटो पोस्ट कर रिश्ते को सार्वजनिक कर दिया. तेज प्रताप ने एक्स से भी पोस्ट को डिलीट कर दिया और अकाउंट हैक होने की बात दोहराई. शनिवार शाम से तेज प्रताप लगातार पोस्ट करते रहे और फिर डिलीट करते रहे. इसके बाद लालू यादव ने रविवार को एक के बाद एक पोस्ट करके तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निष्कासित करने का ऐलान कर दिया. ऐसे में सवाल यह है कि तेज प्रताप यादव का अगला कदम क्या होगा?
तेज प्रताप यादव कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं!
दरअसल, तेज प्रताप यादव की लव स्टोरी ने बिहार में हलचल मचा दी है. राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में तेज प्रताप यादव चुप नहीं बैठेंगे. कुछ लोगों का मानना है कि तेज प्रताप यादव कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वे नई पार्टी बना सकते हैं या किसी दूसरी पार्टी से गठबंधन कर सकते हैं. चूंकि अब आरजेडी के दरवाजे बंद हो चुके हैं, इसलिए वे अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. वे आगे क्या कदम उठाएंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. इससे पहले जब आरजेडी में उन्हें महत्व नहीं दिया गया था, तब उन्होंने कई संगठन बनाए थे।
अब जब यह साफ हो गया है कि वे 6 साल तक आरजेडी में वापस नहीं आ सकते और उनके परिवार ने भी उनसे नाता तोड़ लिया है, तो उनके पास एक ही विकल्प बचा है. अपने लिए नई राह बनाना. यही वजह है कि इस बात की प्रबल संभावना है कि तेज प्रताप यादव अब अपनी अलग विचारधारा, संगठन और नेटवर्क बनाना चाहते हैं. इससे पहले वे धर्म समर्थक सेवक संघ (DSS), यदुवंशी सेना, तेज सेना, लालू-राबड़ी मोर्चा और छात्र जनशक्ति परिषद (CJP) बना चुके हैं।
पहले के बनाए संगठन- यदुवंशी सेना और तेज सेना
तेज प्रताप यादव ने 28 जून 2019 को ‘तेज सेना’ नामक संगठन के गठन की घोषणा की थी. तब उन्होंने युवाओं से अपनी सेना में शामिल होने की अपील की थी. तेज प्रताप इससे पहले ‘यदुवंशी सेना’ का गठन कर चुके हैं. बिहार में यादव समुदाय की आबादी 12 प्रतिशत है. इसके जरिए उन्होंने यादव समुदाय के युवाओं को अपने साथ जोड़ा था।
धर्म समर्थक सेवक संघ (DSS)
2017 में तेज प्रताप ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुकाबला करने के लिए धर्म समर्थक सेवक संघ (DSS) नामक युवा संगठन का गठन किया था, जो भाजपा का वैचारिक संरक्षक है. दिसंबर 2018 में उन्होंने ट्विटर पर DSS का एक टीजर लॉन्च किया था. इसमें DSS को एक धर्मनिरपेक्ष संगठन के रूप में दर्शाया गया है जो हर धर्म का समान रूप से स्वागत और सम्मान करता है. बिहार के पूर्व मंत्री को अर्जुन के रूप में दिखाया गया, जिसे उनके सारथी भगवान कृष्ण चला रहे हैं।
लालू-राबड़ी मोर्चा
अप्रैल 2019 में तेज प्रताप यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के कामकाज से असंतुष्टि जताते हुए लालू-राबड़ी मोर्चा नाम से समानांतर राजनीतिक संगठन बनाया था. हालांकि उन्होंने दावा किया कि यह कोई अलग गुट नहीं है, लेकिन इस कदम को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतर आंतरिक दरार के संकेत के रूप में देखा गया. बाद में उन्हें पार्टी में तेजस्वी को नंबर वन मानकर संतोष करना पड़ा।
छात्र जनशक्ति परिषद (CJP)
तेज प्रताप यादव ने सितंबर 2021 में छात्र जनशक्ति परिषद नामक एक नए छात्र संगठन की स्थापना की. यह कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तत्कालीन प्रदेश प्रमुख जगदानंद सिंह के साथ हुए विवाद के बाद हुआ. उस समय तेज प्रताप ने कहा था कि इसका प्राथमिक लक्ष्य बिहार की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना होगा. हालांकि, तेज प्रताप ने यह स्पष्ट किया कि उनका छात्र समूह एक स्वतंत्र इकाई नहीं है, बल्कि राजद का एक अनिवार्य घटक होगा, जिसका प्राथमिक लक्ष्य पार्टी को मजबूत करना है।
तेज प्रताप तेजस्वी को बार-बार चुनौती देने की कोशिश करते हैं, लेकिन राजनीति के मामले में तेजस्वी उनसे कहीं आगे हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि परिवार में तेज प्रताप को स्वीकार नहीं किया जाता. परिवार में उन्हें काफी जगह मिली हुई है. कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी से निकाले जाने के बावजूद तेज प्रताप जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे. वे पार्टी में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगे और समय के साथ अपने पिता लालू यादव के मार्गदर्शन में रहेंगे. लालू यादव के बिना उनकी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है. चुनाव से पहले जमीनी हालात का आकलन कर उन्हें पार्टी में वापस लेने का पूरा दबाव राजद आलाकमान पर रहेगा.
अगला चुनाव निर्दलीय लड़ सकते हैं!
तेज प्रताप को पार्टी से निकाले जाने के बाद यह साफ हो गया है कि वे आगामी चुनाव में राजद के उम्मीदवार नहीं होंगे. यदि वे निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं या किसी अन्य पार्टी से गठबंधन करते हैं, तो यह राजद के लिए चुनौती बन सकता है. वे दो बार विधायक रह चुके हैं और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री भी हैं. एक संभावना यह भी है कि अगर तेज प्रताप यादव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे तो आरजेडी उस सीट से चुनाव नहीं लड़ेगी और अपने सहयोगियों को दे देगी. चूंकि आरजेडी के पास कोई उम्मीदवार नहीं है, इसलिए तेज प्रताप की जीत की संभावना अधिक होगी क्योंकि वह निश्चित तौर पर मुस्लिम-यादव बहुल सीट चुनेंगे।
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