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बिहार के बाद असम में नई वोटर लिस्ट बनाने की तैयार, EC के फैसले से खुश नहीं CM सरमा

August 04, 2025

गुवाहाटी। बिहार (Bihar) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (Special Intensive Revision- SIR) की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके बाद असम (Assam) में भी नई वोटर लिस्ट (New voter list) बनाने का काम शुरू हो सकता है। हालांकि चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) भी खुश नहीं हैं। वह पहले भी कह चुके हैं कि किसी और प्रदेश की नकल करके असम की समस्याओं को खत्म नहीं किया जा सकता। सीएम सरमा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की गई एनआरसी (National Register of Citizens) की फाइनल लिस्ट तैयार होने के बाद इसी आधार पर वोटर लिस्ट तैयार की जा सकती है।


एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने असम में एसआईआर की तैयारी शुरू कर दी है। असम में अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की नियुक्ति करके उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक शिक्षण कार्य से जुड़े लोगों को बीएलओ बनाया गया है। गर्मी की छुट्टियों के दौरान ही उन्हें बीएलओ की ट्रेनिंग दी जाने लगी है।

एक बीएलओ ने कहा, ट्रेनिंग के दौरान बीएलओ और एसआईआर के बारे में बताया जा रहा था। हमें बताया जा रहा था कि एसआईआर के दौरान कौन से दस्तावेजों को स्वीकार करना है। इसमें जन्म प्रमाणपत्र, फोटो, मां-बाप की वोटर आईडी और निवास प्रमाणपत्र जरूरी होगा। इसके अलावा किसी का नाम वोटर लिस्ट से हटाने के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र की जरूरत होगी।

सीएम सरमा ने कहा था कि वोटर लिस्ट में संशोधन करने से घुसपैठ का इलाज नहीं हो सकता है। बता दें कि 6 साल के आंदोलन के बाद असम समझौता हुआ था जिसके मुताबिक 24 मार्च 1971 के बाद अवैध रूप से असम आने वाले लोगों को भारत का नागरिक नहीं माना गया है। वहीं बिहार में एसआईआर को लेकर सरमा ने कहा, हमने यहां एनआरसी करवाया है। अब यहां एसआईआर से क्या हासिल होगा। किसी और प्रदेश में क्या हो रहा है, इससे असम की समस्या दूर नहीं की जा सकती। सीएम सरमा ने कहा कि अगर सूची में संशोधन किया भी जाता है तो एनआरसी को दस्तावेजों में शामिल किया जाना चाहिए और एनआरसी की फाइनल लिस्ट आने तक इंतजार करना चाहिए।

बता दें कि असम ऐसा पहला प्रदेश है जिसमें एनआरसी करवाई गई थी। 31 अगस्त 2019 को एनआरसी की ड्राफ्ट सूची जारी की गई थी। इसमें कुल 3.3 करोड़ आवेदको में से 19.6 लाख लोगों को लिस्ट से बाहर रखा गया था। हालांकि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने इसे नोटिफाई नहीं किया है। केंद्र सरकार इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि एनआरसी में कई कमियां हैं। इसमें अवैध प्रवासियों को शामिल कर लिया गया है और स्वदेशी लोगों को बाहर रखा गया है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एनआरसी की कमियों को लेकर कहा कि लिस्ट से बाहर होने वाले 29 लाख लोगों की संख्या बहुत कम है। असम सरकार का कहना है कि इसका पुनः सत्यापन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2015 में असम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

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