
नई दिल्ली । बिहार (Bihar) में स्पेशल इंटेसिव रिविजन (SIR) को लेकर हंगामा मचा हुआ है। आरजेडी (RJD) समेत महागठबंधन के नेता चुनाव आयोग (Election Commission) पर बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, अन्य विपक्षी दलों वाले राज्यों को भी डर है कि उनके यहां भी एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है, जिससे वोटर्स के नाम कट सकते हैं। चुनाव आयोग ने इस पर सफाई दी है। उसने कहा है कि बिहार के बाद बंगाल और अन्य राज्यों में भी उचित समय पर एसआईआर होगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से जब पूछा गया कि क्या बिहार के बाद बंगाल में भी एसआईआर होगा? इस पर उन्होंने जवाब दिया, ”हम चुनाव आयोग के तीनों कमिश्नर उचित समय लेकर उस पर फैसला लेंगे कि बंगाल में कब होना है या देश के अन्य राज्यों में कब होना है। उसकी तारीखों का ऐलान आने वाले समय में उचित समय में किया जाएगा।”
ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं के वोट चोरी आरोपों व दोहरे मतदान को लेकर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इन निराधार आरोपों से न तो चुनाव आयोग और न ही वोटर्स भयभीत हैं। चुनाव प्रक्रिया में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी लगे, क्या इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में ‘वोट चोरी’ हो सकती है। यदि 45 दिन के भीतर चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती और ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाए जाते हैं तो यह भारत के संविधान का अपमान है।
बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चेतावनी दी थी कि राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होता है, तो वह पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची से एक भी परिवार का नाम नहीं हटने देंगी। बनर्जी ने कहा कि अगर नाम हटाए गए तो वह विरोध प्रदर्शन करेंगी और बिहार जैसी स्थिति नहीं होने देंगी। ममता बनर्जी ने कोलकाता में शहीद दिवस के उपलक्ष्य में कहा था, “अगर बिहार की सूची से लाखों लोगों का नाम हटाया गया और यहां भी ऐसी ही घटनाएं हुईं, तो हम विरोध करेंगे। अगर बंगाल में एसआईआर हुआ, तो मैं एक भी नाम नहीं हटने दूंगी। हम इसका विरोध करेंगे और इस विरोध को बड़े पैमाने पर बढ़ाएंगे।”
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