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धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब कौन बनेगा अगला उपराष्ट्रपति? उत्तराधिकारी की दौड़ शुरू

July 22, 2025

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार शाम अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा (Resign) दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को भेजे गए अपने इस्तीफे में धनखड़ ने लिखा कि वे “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने” के लिए यह फैसला ले रहे हैं। उनके इस अचानक फैसले से राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर तेज हो गया है। धनखड़ का इस्तीफा संसद (Parliament) के मॉनसून सत्र (Monsoon session) के पहले ही दिन आ गया। फिलहाल उनके उत्तराधिकारी की दौड़ शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को निर्वाचक मंडल में बहुमत प्राप्त है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं। आगामी दिनों में संभावित नामों पर विचार किए जाने की संभावना है।


धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चुनाव ‘‘जल्द से जल्द’’ कराना होगा। संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड दो के अनुसार, उपराष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या उन्हें पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, रिक्ति होने के बाद “यथाशीघ्र” आयोजित किया जाएगा। रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति “अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष की अवधि तक” पद धारण करने का हकदार होगा।

भाजपा के पास कई बड़े नेता कतार में
भाजपा के पास इस पद पर चुनने के लिए नेताओं का एक बड़ा समूह है। राज्यपालों में से या संगठन के अनुभवी नेताओं अथवा केंद्रीय मंत्रियों में से किसी का चुनाव किया जा सकता है। धनखड़ भी उपराष्ट्रपति बनने से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। धनखड़ के पूर्ववर्ती एम वेंकैया नायडू थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में थे। पार्टी ने 2017 में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना था। नायडू भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को भी संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वह 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं और उन्हें सरकार का विश्वास प्राप्त है।

कार्यकाल और विवादों से भरा रहा सफर
जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 2027 तक था। अपने कार्यकाल के दौरान उनका विपक्ष से कई बार टकराव हुआ और उनके खिलाफ पहली बार महाभियोग प्रस्ताव लाया गया जिसे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था। मार्च 2025 में AIIMS दिल्ली में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी और वे कुछ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। हालांकि वे कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहे, पर उनकी तबीयत को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रही।

क्या होगा अब? जानिए 10 अहम बातें
उपराष्ट्रपति का पद अब रिक्त हो गया है, लेकिन संविधान में यह स्पष्ट नहीं है कि इस स्थिति में उपराष्ट्रपति के सभी कार्य कौन निभाएगा।
राज्यसभा के सभापति का कार्य अब संविधान के अनुसार उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी अन्य सदस्य द्वारा किया जा सकता है।
अनुच्छेद 66 के तहत, उप राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से किया जाता है।
एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत है, ऐसे में नए उम्मीदवार के चयन में उसे प्रमुख भूमिका निभानी है।
संभावित नामों में हरिवंश नारायण सिंह का नाम चर्चा में है, जो जनता दल (यूनाइटेड) से राज्यसभा सांसद हैं और सरकार का विश्वास भी रखते हैं।
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक, 35 वर्ष से अधिक आयु का और राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति जो भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी स्थानीय निकाय के अधीन “लाभ का पद” रखता है, वह इस पद के लिए अयोग्य होता है।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि “पार्टी ऐसा चेहरा चुनेगी जो मजबूत और गैर-विवादास्पद हो।”
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “धनखड़ का इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अस्पष्ट भी… इसके पीछे जरूर कुछ और है जो सामने नहीं आ रहा।”
धनखड़ वी. वी. गिरी और भैरोसिंह शेखावत के बाद ऐसे तीसरे उप राष्ट्रपति बने हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दिया है। गिरी ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था, जबकि शेखावत ने 2007 में चुनाव हारने के बाद पद छोड़ा था।

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि अगला उप राष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह फैसला सत्ताधारी दल के भीतर किसी बड़े बदलाव का संकेत है। इधर कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का त्यागपत्र समझ से परे है और उन्हें अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि यही राष्ट्रहित में होगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी, धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए मनाएंगे। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा देना जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी। मैं आज शाम लगभग पांच बजे तक कई अन्य सांसदों के साथ उनके साथ था और शाम साढ़े सात बजे उनसे फोन पर बात की थी।”

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