
इंदौर। अग्रिबाण (Agniban) द्वारा उजागर इंदौर (Indore) के फर्जी रजिस्ट्री कांड में कलेक्टर आशीष सिंह (Ashish Singh) के निर्देश पर तीन दिन पहले पंजीयन विभाग ने थाना पंढरीनाथ पर एफआईआर ( FIR) दर्ज करवाने का आवेदन दिया, जिसके आधार पर फिलहाल ने पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्र्ज कर प्राप्त दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है। उसके आधार पर असल आरोपियों की पहचान कर नामजद आरोपी तय किए जाएंगे, जिनकी संख्या दो दर्जन से अधिक रहेगी। दूसरी तरफ इस मामले का खुलासा होने के बाद अब अन्य फर्जी रजिस्ट्रियों की शिकायतें भी प्रशासन को प्राप्त होने लगी है, जिसमें एक मामला सुदामा नगर के मकान नम्बर 1305-डी का भी सामने आया। इसकी भी जांच शुरू की गई है।
प्रशासन द्वारा करवाई गई जांच में 20 रजिस्ट्रियां फर्जी होना पाई गई, जिनमें से दो की एफआईआर पूर्व में ही दर्ज कराई जा चुकी है और शेष 18 मामलों में अभी 26 जुलाई को पंढरीनाथ थाने पर वरिष्ठ उपपंजीयक ने एफआईआर का आवेदन भिजवाया। उसके साथ ही इन रजिस्ट्रियों से जुड़े संदेहास्पद दस्तावेजों को भी चिन्हित कर पुलिस को जांच के लिए सौंपा है। पूर्व में कलेक्टर आशीष सिंह ने फर्जी रजिस्ट्रियों की शिकायतें मिलने पर 5 सदस्यीय समिति का गठन कर जांच करवाई थी और उसके बाद अग्रिबाण ने सिलसिलेवार इस जांच प्रतिवेदन के आधार पर जो फर्जीवाड़ा हुआ उसे उजागर किया। रिकॉर्ड प्रभारी द्वारा समिति को जो दस्तावेज उपलब्ध कराए गए वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त या पठनीय नहीं पाए गए या रिकॉर्ड रूम से ही गायब मिले। थाना प्रभारी पंढरीनाथ अजय राजोरिया के मुताबिक, फिलहाल अज्ञात के खिलाफ इसलिए एफआईआर दर्ज की, क्योंकि बड़ी संख्या में जो दस्तावेज मिले हैं उसकी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी, जिसके बिन्दु भी तय कर लिए हैं और इस जांच के बाद जो आरोपी मिलेंगे उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज होंगे। यह एक प्रक्रिया है अन्यथा आरोपियों को अग्रिम जमानत का लाभ मिल जाता है। फॉरेंसिक जांच के लिए जो बिन्दु तय किए हैं उनमें फर्जी रजिस्ट्री कब बनाई गई, पेपर किस अवधि का है, सील, श्याही, बाइंडिंग की है, फोटो कॉपी किसने ली, किसने उपयोग किया, आवेदन किस-किस ने लगाया,नामांतरण के आवेदन, बैंक लोन के साथ-साथ दलाल और कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका की जांच होगी और उसके आधार पर आरोप तय होंगे। वहीं कलेक्टर को अजय चतुर्वेदी नामक व्यक्ति ने अपने मकान नम्बर 1305-डी, सुदामा नगर की रजिस्ट्री में भी छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए हैं। इसकी जांच भी कलेक्टर ने वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा को सौंपी है।
नैनोद, बिचौली हप्सी की जमीनों से लेकर भूखंडों के दस्तावेजों में किया फर्जीवाड़ा
कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर 100 करोड़ रुपए से अधिक की जमीनों-भूखंडों को हथियाने का जो मामला फर्जी रजिस्ट्री कांड के साथ उजागर हुआ उसमें नैनोद, बिचौली हप्सी, बड़ा बांगड़दा, पालाखेड़ी, बिहाडिय़ा की जमीनों के साथ-साथ मित्र बंधु नगर, उषा नगर, नीर नगर और शिव विलास पैलेस स्थित भूखंड के मामले भी सामने आए। जांच के चलते पंजीयन कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में पदस्थ कर्मचारी मर्दनसिंह रावत को तुरंत निलंबित कर दिया था और अब 18 रजिस्ट्रियों की जांच के बाद एफआईआर की प्रक्रिया भी की गई।
इन बिन्दुओं पर होगी फॉरेंसिक जांच
– फर्जी रजिस्ट्री कब बनी
– पेपर किस अवधि का था
– सील, श्याही, बाइंडिंग, फोटो कॉपी, गोंद कब के हैं
– फोटो कॉपी किसने ली और किसने उपयोग किया
– नामांतरण के आवेदन, बैंक लोन में कौन सक्रिय रहा
– आवेदक दलाल, कर्मचारियों की भूमिका क्या रही
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