तेल अवीव । ग़ाज़ा पट्टी (Gaaza pattee) में इस बार ईद-उल-अज़हा (Eid-ul-azha) की सुबह कुछ अलग ही तस्वीर पेश कर रही है. जहां पहले मस्जिदों में नमाज़ अदा की जाती थी, अब वहां सिर्फ मलबा और वीरानी है. लोगों ने नमाज़ उन जगहों पर पढ़ी, जहां कभी स्कूल, धार्मिक स्थल या घर हुआ करते थे. युद्ध विराम की कोई उम्मीद नज़र नहीं आती, और खाने-पीने का संकट चरम पर है.
ईद से जुड़ी परंपराएं बलि, दावतें, बच्चों के लिए तोहफे अब बस यादें बन गई हैं. अब हर बातचीत का केंद्र एक ही चिंता है, खाना मिलेगा या नहीं.
जरूरी चीज़ें बनीं विलासिता
ग़ज़ा में वायरल हुई एक पोस्ट के अनुसार पारले-जी बिस्किट की कीमत 24 यूरो यानी लगभग ₹2,400 तक पहुंच गई है. और सिर्फ बिस्किट ही नहीं, लगभग हर जरूरी सामान की कीमतें आसमान छू रही हैं:
खाना पकाने का तेल (1 लीटर): ₹4,177
चीनी (1 किलो): ₹4,914
दूध पाउडर (1 किलो): ₹860
आटा (1 किलो): ₹1,474
नमक (1 किलो): ₹491
भिंडी (1 किलो): ₹1,106
बत्तख का मांस (1 किलो): ₹737
टमाटर (1 किलो): ₹1,106
प्याज (1 किलो): ₹4,423
आलू (1 किलो): ₹1,966
बैंगन (1 किलो): ₹860
नींबू (1 किलो): ₹1,474
दाल (1 किलो): ₹860
कॉफी (1 कप): ₹4,423
बकरे का डिब्बा बंद मांस: ₹4,914
रोज़गार खत्म, महंगाई की मार
ग़ज़ा में आज लोगों के पास कोई स्थिर आय नहीं है, ऐसे में ये कीमतें उनकी पहुंच से कोसों दूर हैं. जीवन अब केवल जीवित रहने की कोशिश बन गया है.
हमास लूट रहा है मदद
इजराइली प्रवक्ता गाय नीर का कहना है कि हमास सहायता सामग्री को अपने नियंत्रण में लेकर महंगे दामों पर जनता को बेच रहा है. उनके अनुसार, अब तक भेजे गए लगभग 80% सहायता ट्रक लूट लिए गए. उनका यह भी दावा है कि हमास नकाबपोश बंदूकधारियों के ज़रिए आम नागरिकों को डराने का काम कर रहा है.
हमास का नियंत्रण और गहराती भूख
रिपोर्टों के अनुसार, हमास इस संकट का फायदा उठाकर खाद्य सामग्री पर आर्थिक नियंत्रण और अपनी राजनीतिक पकड़ मज़बूत कर रहा है. उत्तरी ग़ज़ा में इजराइल ने कथित रॉकेट हमलों के जवाब में “गहन सैन्य कार्रवाई” शुरू करने की चेतावनी दी है.
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने चेताया है कि सितंबर तक करीब 5 लाख ग़ज़ावासी “गंभीर खाद्य संकट” का सामना करेंगे. यह भूख की उस स्थिति की ओर इशारा करता है, जो अकाल से पहले आती है.
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