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काशी के बाद मथुरा में नया विवाद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास ज्ञानवापी होने का दावा

February 12, 2024

मथुरा (Mathura)। काशी (Kashi) में ज्ञानवापी पर विवाद (Gyanvapi controversy) के बीच अब नया विवाद (New controversy) मथुरा (Mathura) से सामने आया है। यहां श्रीकृष्ण जन्मभूमि (near Shri Krishna’s birthplace) के पास स्थित एक मजार को हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी होने का दावा किया है। आरोप लगाया है कि पोतरा कुंड के पास चक्रवति सम्राट के भाई राजा भर्तृहरि (King Bhartrihari, brother of Chakravati Emperor) की समाधि व ज्ञानवापी है।

सन् 1987 में मथुरा नगर पालिका में तैनात कर अधिकारी कमरुद्दीन ने अभिलेखों में छेड़छाड़ कर इसे ज्ञान बावड़ी से शाही बावड़ी कर दिया था। वक्फ बोर्ड से इसे वक्फ संख्या-75 संपत्ति घोषित करा दिया। भर्तृहरि की समाधि को हजरत उम्रदराज बावड़ी वाले बाबा की मजार में तब्दील कर दिया गया।


1994 में नगर पालिका ने हिंदू पक्ष की दलीलों को सही पाते हुए रिकॉर्ड दुरुस्त किया। 1997 में तत्कालीन एडीएम प्रशासन/वक्फ सर्वे अधिकारी आरडी पालीवाल ने मुस्लिमों को यहां इबादत न करने का आदेश दिया। इसके बाद भी यहां इबादत जारी है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं जन्मभूमि पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस मामले में सिविल वाद कोर्ट में दायर किया जाएगा।

मुस्लिम पक्ष का दावा
डीग गेट निवासी मुशीर अंसारी वर्तमान में इस मजार की देखरेख करते हैं। बृहस्पतिवार को यहां इबादत, चादर चढ़ाने जैसे धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। मुशीर अंसारी का कहना है कि इस मजार पर वह तीसरी पीढ़ी के सेवादार हैं। हिंदू पक्ष गलत तरीके से दावा पेश कर रहा है।

कोर्ट से की जाएगी एएसआई सर्वे की मांग
अधिवक्ता एवं जन्मभूमि के पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि ज्ञानवापी और काशी पूरे विश्व में सनातन धर्म के दो बड़े केंद्र हैं। यहां पर ज्ञानवापी होने लाजिमी है। जिस प्रकार से काशी में बाबा विश्वनाथ के पास ज्ञानवापी है। उसी प्रकार श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास ज्ञानवापी है।

यहां मुस्लिमों का धार्मिक स्थल होने का क्या औचित्य है। कोर्ट में सिविल वाद दाखिल किया जाएगा। सबसे पहले 1997 के आदेश का अनुपालन कराने का अनुरोध किया जाएगा। इसके बाद इसके एएसआई सर्वे की मांग की जाएगी। काशी की तरह एक दिन यहां भी हिंदू पूजा करेंगे।

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