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ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्लीपर सेल ने भारत में उड़ाए थे ड्रोन? पाकिस्तान के मददगारों की तलाश में जुटी जांच एजेंसियां

May 23, 2025

नई दिल्ली. मीर जाफर (Mir Jafar) को देश (Country) के सबसे बड़े गद्दार (big traitors) के तौर पर याद किया जाता है. जिसने प्लासी की लड़ाई में बंगाल (Bengal) के नवाब सिराजुद्दौला (Nawab Siraj-ud-Daulah) को जंग में धोखा दिया और अंग्रेजों को जिता दिया. इस एक गद्दारी ने देश का इतिहास बदल दिया. जंग में गद्दारों से सावधान रहना बहुत जरूरी है.


ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी हमले के वक्त ऐसे ही मीरजाफरों की सुरक्षा एजेंसियां तलाश कर रही हैं जिन्होंने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों के वक्त छोटी दूरी के ड्रोन उड़ाए.8 और 9 मई की रात को जब पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन हमला किया था, उस वक्त भारत के अंदर से भी ड्रोन उड़े थे सुरक्षा एजेंसियां अब पाकिस्तान परस्त स्लीपर सेल को खोजने में जुट गई हैं.

भारत ने नाकाम किए सारे हमले
पाकिस्तान ने भारत पर करीब 800 से 1000 ड्रोन से हमला बोला था. जिसमें से अधिकांश को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था. बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन हमले को भारत ने पहले ही भांप कर तैयारी शुरू कर दी थी.

भारतीय सेना बॉर्डर पर ड्रोन हमले से निपटने में 26 अप्रैल से ही जुट गई थी. चिंता की बात ये है कि भारत ने बाहरी दुश्मन के हमले का तो सटीक अंदाजा लगा लिया लेकिन देश के भीतर छिपे दुश्मनों के हमले ने उसे चौंका दिया क्योंकि पाकिस्तान के ड्रोन हमलों के साथ ही जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के स्लीपर सेल की तरफ से ड्रोन उड़ाए गए. जिनका मकसद पाकिस्तान की मदद करना था.

जम्मू कश्मीर के कई सीमावर्ती इलाकों में उड़ाए थे ड्रोन
जम्मू कश्मीर के कई सीमावर्ती इलाकों में आतंकी आकाओं के स्लीपर सेल ने भी ड्रोन उड़ाए. खौफ भरना था. जिस वक्त सरहद पार से पाकिस्तान हमले कर रहा था, ठीक उसी वक्त भारत के अंदर से भी उसके स्लीपर सेल पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने के लिए छोटे और कम दूरी के ड्रोन उड़ा रहे थे.

पहली नजर में भले ही आपको लगे कि छोटे ड्रोन से पाकिस्तानी स्लीपर सेल क्या ही कर लेते. लेकिन जंग के हालात में छोटे ड्रोन की अपनी अहमियत है, जिससे बड़े हमले अंजाम दिए जाते हैं. छोटे ड्रोन के हमलों से पाकिस्तान ने भारत के रडार की जगह जानने की कोशिश की ताकि अगले ड्रोन हमले में उन्हें निशाना बनाया जा सके.

जांच में जुटी एजेंसिया
इस काम में उसकी मदद आतंकी आकाओं के स्लीपर सेल भी कर रहे थे, जिनकी पहचान के लिए सुरक्षा एजेंसियां जुट चुकी हैं. सुरक्षा बलों का मानना ​​है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के पास पिछले एक महीने में बेचे गए ड्रोनों का डेटा है, जिससे ऐसे छोटे ड्रोन को किसने खरीदा इससे जुड़ी जानकारी देश में मौजूद दुश्मनों तक उन्हें पहुंचा सकती है.

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