
वॉशिंगटन । पाकिस्तान (Pakistan) के बाद अब इजरायल (Israel) ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) को नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) के लिए नामित किया है। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने खुद इसकी जानकारी दी है। इसके अलावा पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर के वॉशिंगटन दौरे के बाद पाकिस्तान ने ऐसा ही प्रस्ताव पास किया है। पाकिस्तान ने जून में कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवाद को सुलझाने में मदद करने के लिए ट्रंप को इस पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश करेगा। हालांकि ट्रंप को नोबेल दिए जाने का कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं। इनमें स्वीडन के पूर्व पीएम कार्ल बिल्ड्ट भी शामिल हैं।
उन्होंने एक्स पर लिखा कि नेतन्याहू ट्रंप की चापलूसी करने की कोशिश कर रहे हैं और इसी कोशिश में उनके लिए नोबेल मांग लिया है। यदि ट्रंप यह पुरस्कार जीतते हैं तो वे रूज़वेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर और बराक ओबामा के बाद यह सम्मान पाने वाले पांचवें अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे। आइए जानते हैं, कैसे मिलता है नोबेल और क्या है पूरी प्रक्रिया…
यह पुरस्कार स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। वह नोबेल पुरस्कार को लेकर अपनी वसीयत में काफी कुछ बताकर गए हैं। उनकी वसीयत के अनुसार यह पुरस्कार उस व्यक्ति को मिलना चाहिए, जिसने राष्ट्रों के बीच सौहार्द्र को बढ़ावा देने, सेनाओं में कमी या उन्हें मोर्चे से हटाने और शांति सम्मेलनों की स्थापना व प्रचार में सबसे अधिक या सबसे अच्छा कार्य किया हो। अल्फ्रेड नोबेल ने ही डायनामाइट का आविष्कार किया था। नोबेल वेबसाइट पर शांति पुरस्कार समिति के अध्यक्ष जोर्गन वॉटने फ्राइडनेस के अनुसार, ‘कोई भी व्यक्ति नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित हो सकता है और उसे दिया जा सकता है। इतिहास बताता है कि यह पुरस्कार दुनिया भर के समाज के सभी तबकों के लोगों को दिया गया है।’
नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हर साल अक्टूबर में की जाती है, लेकिन नामांकन जनवरी के अंत में बंद हो जाते हैं। इसका अर्थ है कि नेतन्याहू द्वारा ट्रंप को किया गया नामांकन इस साल के लिए नहीं माना जा सकता। इसके अलावा पाकिस्तान की सिफारिश को भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलना है या नहीं। इसका फैसला अगले साल ही हो पाएगा। एक नियम यह भी है कि कोई व्यक्ति खुद को नोबेल के लिए नामित नहीं कर सकता।
कैसे होता है नोबेल विजेता का फैसला
नियम के अनुसार सरकारों और संसद के सदस्य इसके लिए योग्य हो सकते हैं। इसके अलावा किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष, इतिहास, समाजशास्त्र, कानून और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर आदि इसके दायरे में आते हैं। नॉर्वेजियन नोबेल समिति- जिसमें नॉर्वेजियन संसद द्वारा नियुक्त पांच सदस्य होते हैं- अंतिम निर्णय करती है। वर्तमान समिति का नेतृत्व PEN इंटरनेशनल के नॉर्वेजियन शाखा के प्रमुख कर रहे हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाला एक संगठन है। इन सभी को नॉर्वेजियन राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तावित किया जाता है और उनकी नियुक्तियां नॉर्वेजियन संसद में सत्ता संतुलन को दर्शाती हैं।
कब-कब नोबेल शांति पुरस्कार पर हुआ है विवाद
नोबेल शांति पुरस्कार को अकसर राजनीतिक संदेश देने वाले निर्णय के रूप में देखा गया है। नोबेल वेबसाइट खुद कहती है कि कुछ विजेता ‘बेहद विवादास्पद राजनीतिक व्यक्ति’ रहे हैं। पुरस्कार ने अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय संघर्षों पर सार्वजनिक ध्यान भी आकर्षित किया है। बराक ओबामा को यह पुरस्कार केवल कुछ महीनों के भीतर राष्ट्रपति बनने के बाद दे दिया गया था। वहीं 1973 में अमेरिका के विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर और वियतनामी नेता ले डक थो को वियतनाम युद्ध समाप्त करने के लिए पुरस्कार दिए जाने पर समिति के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। 1994 में जब फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात को इज़राइल के शिमोन पेरेस और यित्जाक राबिन के साथ संयुक्त रूप से पुरस्कार दिया गया, तब भी एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था।

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