
अहमदाबाद । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद (After Retirement) प्राकृतिक खेती के लिए (To Natural Farming) मैं अपना शेष जीवन समर्पित करूंगा (I will devote the rest of my Life) ।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर बुधवार को गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारिता क्षेत्र से जुड़ीं महिलाओं और अन्य सहकारी कार्यकर्ताओं के साथ ‘सहकार-संवाद’ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में सहकारी क्षेत्र महिलाओं को आत्मनिर्भर करने का मजबूत माध्यम बना है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘सहकार-संवाद’ कार्यक्रम में बनासकांठा का जिक्र किया और कहा, “जब मैं पैदा हुआ था, तब बनासकांठा के लोगों को सप्ताह में सिर्फ एक बार नहाने के लिए पानी मिल पाता था। मध्य प्रदेश और राजस्थान के लोगों को शायद इसका अंदाजा न हो, लेकिन बनासकांठा और कच्छ गुजरात के सबसे ज्यादा पानी की कमी वाले जिलों में से थे। आज, एक परिवार सिर्फ दूध उत्पादन से सालाना 1 करोड़ कमाता है। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘सहकार-संवाद’ कार्यक्रम में कहा, “मैंने निर्णय लिया है कि सेवानिवृत्ति के बाद, मैं अपना शेष जीवन वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के अध्ययन के लिए समर्पित करूंगा। प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है, जिसके अनेक लाभ हैं। रासायनिक उर्वरकों से उगाए गए गेहूं से अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। प्राकृतिक खेती न केवल शरीर को रोगमुक्त रखने में मदद करती है, बल्कि कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाती है।”
अमित शाह ने आगे कहा, “सहकारिता मंत्रालय पीएम मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन के अनुसार किसानों को सशक्त बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है।” ‘सहकार संवाद’ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों के सवालों का भी जवाब दिया। अमित शाह ने एक प्रतिभागी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) के लिए लगभग 25 छोटे व्यवसाय मॉडल की पहचान की है। सभी पीएसीएस को विभिन्न गतिविधियों से जोड़कर उन्हें समृद्ध बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
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