
नई दिल्ली। अगर यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति (President) वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) रूस (Russia) के साथ युद्धविराम के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 28 सूत्री शांति प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो इसका सीधा असर यूक्रेन की भौगोलिक अखंडता पर पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसेमंद सामरिक संस्थाओं के आकलन बताते हैं कि ऐसे किसी समझौते में यूक्रेन को कुल भूभाग का लगभग पांचवां हिस्सा छोड़ना पड़ सकता है। यह केवल जमीन का नुकसान नहीं , बल्कि यूक्रेन की रणनीतिक स्थिति, समुद्री पहुंच और राष्ट्रीय पहचान में बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है। इंस्टीट्यूट फार द स्टडी ऑफ वॉर (आईएसडब्ल्यू) और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फार स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) के अनुसार ट्रंप के 28 सूत्री प्रस्ताव का मूल विचार तत्काल युद्धविराम और मौजूदा सैन्य मोर्चों को फ्रीज करने पर आधारित है। इसका व्यावहारिक अर्थ होगा कि जिन क्षेत्रों पर इस समय रूसी सेना का नियंत्रण है, वे उसी के अधीन रहेंगे। सामरिक विशेषज्ञ इसे युद्धविराम के बदले क्षेत्रीय यथास्थिति का मॉडल बताते हैं, जिसमें राजनीतिक समाधान को भविष्य पर टाल दिया जाता है।
यूक्रेनी मीडिया का रुख
यूक्रेनियन मीडिया में शांति प्रस्ताव को उसी रूप में स्वीकार करने पर कितनी जमीन जाएगी ऐसी किसी एकीकृत रिपोर्ट का प्रकाशन अब तक नहीं हुआ है। लेकिन युद्धविराम, संभावित क्षेत्रीय नुकसान और यथास्थिति आधारित समझौते के जोखिम पर यूक्रेन के प्रमुख और भरोसेमंद मीडिया संस्थानों ने स्पष्ट चेतावनी भरे विश्लेषण जरूर प्रकाशित किए हैं। प्रमुख अंग्रेजी और यूक्रेनी भाषा का समाचार पोर्टल कीव इंडिपेंडेंट कई विश्लेषणों में कह चुका है कि किसी भी ऐसे युद्धविराम प्रस्ताव, जिसमें मौजूदा फ्रंटलाइन को फ्रीज किया जाए का अर्थ व्यावहारिक रूप से क्रीमिया और पूर्वी-दक्षिणी क्षेत्रों पर रूसी नियंत्रण को स्वीकार करना होगा।
जान-माल का कुल नुकसान
युद्ध के मानवीय मूल्य को देखें तो तस्वीर और भी भयावह है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (यूएन ओएचसीएचआर) के अनुसार, संघर्ष में यूक्रेन और रूस के 50,000 से अधिक नागरिकों की मौत और 1,00,000 से ज्यादा लोगों के घायल होने की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक मानी जा रही है। सैन्य हताहतों के मामले में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय, आईआईएसडब्ल्यू और आईआईएसएस के आकलन बताते हैं कि रूस के अब तक 150,000 से अधिक सैनिक मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि यूक्रेन के 3,00,000 से 350,000 के बीच सैनिक हताहत हुए माने जाते हैं। आंकड़े दिखाते हैं कि दोनों देश अभूतपूर्व मानवीय क्षति झेल चुके हैं। अधिकृत अंतरराष्ट्रीय आकलनों के अनुसार युद्ध ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर तबाह किया है।
युद्ध रोकना जेलेंस्की के लिए रणनीतिक मजबूरी बनता जा रहा
अंतरराष्ट्रीय सामरिक संस्थाओं के अनुसार, राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए ट्रंप के प्रस्ताव पर विचार करना रणनीतिक मजबूरी है। आईआईएसएस और सेंटर फार स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के आकलन बताते हैं, युद्ध अब निर्णायक जीत के बजाय दीर्घकालिक एट्रिशन के चरण में फंसा है, जहां यूक्रेन को जनशक्ति, गोला-बारूद, वायु रक्षा और ऊर्जा अवसंरचना पर दबाव झेलना पड़ रहा है। पश्चिमी सैन्य सहायता की अनिश्चितता, घरेलू आर्थिक- सामाजिक थकान और मोर्चों पर सीमित आक्रामक विकल्पों के बीच किसी भी बड़े पलटवार की संभावना कमजोर मानी जा रही है। इन परिस्थितियों में सामरिक विश्लेषकों का निष्कर्ष है, युद्ध विराम भले ही कठिन और अलोकप्रिय शर्तों के साथ हो यूक्रेन के लिए समय खरीदने, क्षमता बचाने और आगे की कूटनीतिक-सैन्य तैयारी का एकमात्र व्यावहारिक रास्ता बनता दिख रहा है, जिसने जेलेंस्की की विकल्प-सीमा को संकुचित कर दिया है। वहीं, तमाम प्रतिबंधों की वजह से रूस के आर्थिक संसाधनों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है।
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