
नई दिल्ली । पाकिस्तान(Pakistan) में अहमदिया समुदाय(Ahmadiyya Community) के खिलाफ अत्याचार ()Atrocityके मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीते गुरुवार यहां भीड़ ने समुदाय के दो इबादत स्थलों(places of worship) को निशाना बनाया है। भीड़ ने तोड़फोड़ और आगजनी के साथ-साथ जमकर उत्पात मचाया। पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि पंजाब प्रांत में 350 से ज्यादा लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय के दो इबादत स्थलों पर हमला कर दिया।
कथित तौर पर प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ ने गुरुवार को लाहौर से लगभग 130 किलोमीटर दूर फैसलाबाद के एक गांव में इस घटना को अंजाम दिया। जब तक पुलिस मौके पर पहुंचती तब तक भीड़ ने दोनों इबादत स्थलों को तहस-नहस कर दिया था। वहीं वहां मौजूद लोगों ने कथित तौर पर इधर-उधर भाग कर अपनी जान बचाई।
जानकारी के मुताबिक दोनों इबादतगाह 1984 से पहले बने थे। हिंसक भीड़ ने यहां लगभग दो घंटे तक उत्पात मचाया। इसके बाद लोगों ने एक इबादतगाह की मीनारों को गिराने के बाद उसमें आग लगा दी। पुलिस के मुताबिक हमलावरों ने आस-पास के अहमदिया घरों को भी निशाना बनाया। भीड़ ने लोगों के घरों पर पत्थर फेंके, खिड़कियां तोड़ दीं जिससे लोगों में दहशत फैल गई।
मामले की जानकारी देते हुए एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि करीब 350 संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जानकारी के मुताबिक टीएलपी के नेताओं ने लोगों को अहमदिया समुदाय पर हमला करने के लिए उकसाया था। गौरतलब है कि अहमदिया समुदाय के लोग खुद को मुसलमान मानते हैं, लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। लगभग एक दशक बाद उनपर खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगाने के साथ साथ इस्लाम के कुछ नियमों का पालन करने पर भी रोक लगा दी गई थी।
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