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अहमदाबाद का ट्रैफिक जाम भूमि चौहान के लिए बन गया जीवनरक्षक

June 13, 2025


अहमदाबाद । अहमदाबाद का ट्रैफिक जाम (Ahmedabad’s Traffic Jam) भूमि चौहान के लिए जीवनरक्षक बन गया (Became lifesaver for Bhoomi Chauhan) । वह विमान हादसे का शिकार होने से बच गई ।

30 साल की भूमि चौहान मन ही मन झुंझला रही थीं। अहमदाबाद के ट्रैफिक ने उन्हें देर करा दी थी। एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट का गेट बंद हो चुका था। स्टाफ ने कह दिया— “अब आप नहीं जा सकतीं।” भूमि की आंखों में आंसू आ गए। टिकट के पैसे डूब गए थे। नौकरी जाने का डर सिर पर था। मन खिन्न था कि समय पर पहुंचने के बावजूद ट्रैफिक ने बाजी बिगाड़ दी, लेकिन ईश्वर ने जैसे इस ‘लेट लतीफी’ को वरदान बना दिया। कुछ ही घंटों बाद जो खबर आई, उसने भूमि को स्तब्ध कर दिया। वही फ्लाइट, जो वह मिस कर चुकी थीं… हवा में उड़ी नहीं, जमीन से टकरा गई। क्रैश। जलते मलबे, बिखरे सामान, चीखते लोग। 241 मुसाफिरों की जान चली गई। केवल एक व्यक्ति जीवित बचा।

भूमि अब इस देरी के लिए रो नहीं रही थीं… बल्कि इस ‘लेट’ के लिए भगवान का धन्यवाद कर रही थीं। “हम चाय के लिए रुके थे। तभी फोन आया कि जिस फ्लाइट में मैं चढ़ने वाली थी, वो क्रैश हो गई है,” भूमि कांपती आवाज़ में मीडिया को बताया-“मैं और मेरा परिवार तुरंत मंदिर गए। आज अगर अहमदाबाद का ट्रैफिक नहीं होता, तो मैं भी उन 241 में होती।”

भूमि की यह यात्रा ब्रिटेन लौटने की थी। अंकलेश्वर से अहमदाबाद एयरपोर्ट के लिए निकली थीं। ऑनलाइन चेक-इन हो चुका था, लेकिन ट्रैफिक ने पांच मिनट लेट करा दिया। एयर इंडिया ने नियमों का हवाला देते हुए बोर्डिंग से मना कर दिया। “मैंने विनती की, गिड़गिड़ाई… लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था।” किसी और दिन यह फैसला गुस्से का कारण बनता। इस दिन वही नियम, वही सख्ती, वही लेटलतीफी… वरदान बन गई। भूमि ने कहा : “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि फ्लाइट छूटने पर मैं खुद को शुक्रगुजार कहूंगी।” “ट्रैफिक को हमेशा कोसा… लेकिन इस बार उसी ने मेरी जान बचाई।” “अब पैसे, नौकरी… कुछ भी मायने नहीं रखता। ज़िंदगी है तो सब है।”

यह हादसा बताता है कि जिंदगी की छोटी-छोटी ‘देरियाँ’ भी कितनी बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। अहमदाबाद का वही ट्रैफिक जिसे आम लोग परेशानी समझते हैं, इस बार भगवान का भेजा रक्षक बन गया। भूमि जैसी कहानियाँ हमें यह भी याद दिलाती हैं कि किस्मत के खेल में हम सब मोहरे हैं… किसी दिन देर से पहुंचना भी सौभाग्य बन जाता है।

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