
नई दिल्ली । वकीलों की ओर से एआई पर बढ़ती निर्भरता को लेकर आगाह किया गया है। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के जज जस्टिस राजेश बिंदल(Judge Justice Rajesh Bindal) ने कहा कि भारत और अमेरिका में युवा वकील AI सर्च मॉडल्स(AI Search Models) से अदालतों में फर्जी फैसले पेश(presenting false judgements) कर रहे हैं। ऑल इंडिया सीनियर लॉयर्स एसोसिएशन के कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस बिंदल ने कहा, ‘सीनियर वकीलों की जिम्मेदारी है कि वे युवा वकीलों को सही रास्ता दिखाएं।’ उन्होंने वकीलों को तकनीक पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने के खिलाफ चेतावनी दी और AI से गलत जानकारी देने के उदाहरण भी दिए।
जस्टिस बिंदल ने कहा, ‘कई बार वकील एक-दो कीवर्ड्स के साथ AI पर सर्च करते हैं और फैसलों का हवाला देने लगते हैं। ये गलत हो सकता है। शायद अल्पमत राय हो, लेकिन उन्हें इसका पता नहीं चलता। कई बार एआई ने अपने आप फर्जी फैसले प्रस्तुत किए, जिसे अदालत में पेश कर दिया गया।’ एससी के जज बिंदल ने कहा, ‘AI का खतरा है कि यह नकली निर्णय पेश कर देता है। सीनियर वकीलों को युवा वकीलों को इन खतरों के बारे में बताना चाहिए। लोग कहते हैं कि जज बहुत काम करते हैं, लेकिन इसके पीछे युवा वकीलों की रिसर्च और सीनियर वकीलों की दलीलें होती हैं।’
सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त 4 नए जजों का सम्मान
जस्टिस बिंदल ऑल इंडिया सीनियर एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित समारोह में बोल रहे थे, जहां पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त 4 नए जजों (जस्टिस जोयमाल्या बागची, जस्टिस नीलय वी. अंजारिया, जस्टिस विजय बोश्नोई और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर) का सम्मान किया गया। इस आयोजन में जस्टिस बिंदल और जस्टिस पीबी वराले बेंच के सीनियर सदस्य के रूप में मौजूद थे। सीनियर एडवोकेट व सांसद पी. विल्सन, सीनियर एडवोकेट आदिश अग्रवाल और सीनियर एडवोकेट पितांबरी आचार्य भी जजों के साथ मंच पर थे।

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