
नई दिल्ली: बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के ताजा रुझानों ने साफ कर दिया है कि इस बार एनडीए (NDA) की सुनामी आ गई है. जिस तरह के आंकड़े अभी दिखाई दे रहे हैं उसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी. सत्ता गठबंधन (Ruling Coalition) 200 से अधिक सीटों (Seats) के पार जाता हुआ दिख रहा है, जबकि महागठबंधन मुश्किल दौर से गुजरता दिखाई दे रहा है.
चुनावी रुझान ने एक बार फिर कांग्रेस (Congress) के लिए परेशानी बढ़ा दी है. इसका कारण ये है कि पार्टी ने बिहार में असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM से भी काफी पीछे दिख रही है. जिस तरह के रुझान सामने आ रहे हैं उसे देखने के बाद लगता है कि कांग्रेस बिहार में खाता भी न खोल पाए. खबर लिखे जाने तक कांग्रेस केवल एक सीट पर आगे दिखाई पड़ रही है.
दूसरी ओर, सीमांचल जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अप्रत्याशित तरीके से अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. 24 सीटों वाले इस क्षेत्र में पार्टी आधा दर्जन जगहों पर निर्णायक बढ़त बनाए हुए हैं और कई अन्य जगहों पर भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर माहौल बदल दिया है. इन रुझानों ने बिहार की राजनीति में नए समीकरणों की नींव डाल दी है. जहां एनडीए अपना जनाधार बढ़ा रहा है, वहीं AIMIM ने साबित कर दिया है कि सीमांचल में उनकी ताकत पहले से ज्यादा हो गई है.
कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में असदुद्दीन ओवैसी ने तंज़ कसते हुए कहा था कि सीमांचल में अगर उनकी पार्टी पूरी ताकत से उतर गई, तो कोई जाकर रोएगा कि ‘हमसे चॉकलेट छीन ली गई’. उनकी यह टिप्पणी सीधे तौर पर तेजस्वी यादव को इशारा करती थी. दिलचस्प बात यह है कि AIMIM ने वही छह सीटें मांगी थीं जो अब रुझानों में उनके पक्ष में जाती दिख रही हैं. आरजेडी की ओर से सहयोग न मिलने पर ओवैसी ने पूरे दमखम के साथ सीमांचल में डंटकर प्रचार किया और अब रुझान बता रहे हैं कि उनका दावा चुनावी हकीकत में बदलता नजर आ रहा है.
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