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पाकिस्तान के साथ तनातनी के बीच वायुसेना की इमरजेंसी लैंडिंग ड्रिल जारी, कश्मीर में भी हाइवे पर उतरेंगे लड़ाकू विमान

May 02, 2025

नई दिल्ली। पाकिस्तान के साथ तनातनी के बीच वायुसेना लगातार इमरजेंसी लैंडिंग ड्रिल कर रही है। इसका उद्देश्य इस बात को पुख्ता करना है कि युद्ध के समय जरूरत पड़ने पर विमान हाइवे में भी इमरजेंसी लैंडिंग कर सकें। भारतीय वायुसेना के अधिकारियों के अनुसार उत्तर प्रदेश के गंगा एक्सप्रेस वे के बाद जम्मू कश्मीर में भी विमान हाइवे पर लैंडिंग का अभ्यास करेंगे। भारतीय वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से पर आपातकालीन लैंडिंग सुविधा का अभ्यास करेंगे।

जम्मू-कश्मीर में यह पहला मौका होगा जब किसी हाइवे पर सेना के विमान लैंड करेंगे। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अमेरिका निर्मित चिनूक और रूस निर्मित एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की लगभग दो उड़ानें सोमवार और मंगलवार की मध्यरात्रि के दौरान जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के वानपोह-संगम खंड पर उतरेंगी।

देश भर में विभिन्न स्थानों पर ईएलएफ के निर्माण के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ भारतीय वायुसेना द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत 3.5 किलोमीटर लंबी आपातकालीन लैंडिंग पट्टी पर काम 2020 में शुरू हुआ और पिछले साल के अंत में पूरा हुआ। अधिकारियों ने बताया कि लैंडिंग स्ट्रिप पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है तथा अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग इस क्षेत्र के नजदीक न आएं।


एक अधिकारी ने बताया, “हाईवे पर यातायात को वानपोह से संगम की ओर मोड़ दिया गया है ताकि बिजबेहरा आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप को बाईपास किया जा सके, जहां ट्रायल लैंडिंग और टेकऑफ निर्धारित है।” चिनूक हेलीकॉप्टर, जिनकी अधिकतम गति 310 किमी प्रति घंटा है, का उपयोग भारी वजन उठाने के लिए किया जाता है। मुख्य केबिन में 33 से अधिक पूरी तरह सुसज्जित सैनिक बैठ सकते हैं। इसका उपयोग चिकित्सा निकासी के लिए भी किया जा सकता है और 741 किलोमीटर की यात्रा सीमा वाले इस हेलीकॉप्टर में 24 स्ट्रेचर रखे जा सकते हैं।

एमआई-17 हेलीकॉप्टर में 35 सैनिक सवार हो सकते हैं। इन दोनों हेलीकॉप्टरों को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है। भारतीय वायुसेना का ईएलएफ अभ्यास जटिल बहुआयामी गतिविधियों के संचालन के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, जिला प्रशासन और राज्य पुलिस और वायु सेना जैसी नागरिक एजेंसियों के बीच तालमेल और संपर्क को प्रदर्शित करना है। इस अभ्यास के बाद, जम्मू और कश्मीर पहला केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा, जिसने ईएलएफ का संचालन किया है। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीन राज्य हैं, जहां ईएलएफ वर्तमान में चालू हैं।

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