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वायु प्रदूषणः दिल्ली में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों में 80% तक की वृद्धि

November 03, 2022

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के लोग ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जो हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक (most harmful to the body) है। वायु प्रदूषण (air pollution) के बढ़ने के साथ ही खांसी और गले में खराश जैसे लक्षणों वाली बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस आबादी में ज्यादा संख्या बच्चों (large number of children) की शामिल है. शहर में बढ़ते प्रदूषण से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. डॉक्टरों के पास जो अभिभावक अपने बच्चों को इलाज के लिए लेकर पहुंच रहे हैं. वो बच्चे खांसी, आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव से बीमार हो रहे बड़ों के साथ बच्चों की बढ़ती संख्या एक चिंता का विषय है. बीमार हो रहे बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों पर वायु प्रदूषण के कई तात्कालिक प्रभाव होते हैं, लेकिन लंबे समय तक ऐसी हवा के संपर्क में रहने से बच्चों के अंगों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मस्तिष्क के विकास में भी दिक्कत आ सकती है।


बच्चों का सुबह घर से निकलना खतरनाक
दिल्ली के कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि सुबह के समय प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर होता है और उसी समय बच्चे स्कूल के लिए घरों से निकलते हैं. देखा जा रहा है कि इस तरह से जहरीली हवा के संपर्क में आने से बच्चों को सांस संबंधि दिक्कतों में इजाफा हो रहा है. उन्होंने कहा कि सुबह के समय तापमान कम होता है. जिस कारण ठंडी और भारी हवा जमीन के करीब बैठ जाती है. ऐसे समय में बच्चों का घरों से बाहर निकलना सही नहीं है।

विशेषज्ञ का कहना है कि दिल्ली में बच्चों की स्थिति विकसित देशों और कई अन्य भारतीय शहरों की तुलना में बहुत खराब है. भारत की तुलना में ऐसे देशों में वायु हां अपेक्षाकृत इंडिया के मुकाबले काफी साफ है।

लॉकडाउन के दौरान बच्चे हुए कम बीमार
एक अन्य बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर का कहना है कि पिछले दो सालों में लॉकडाउन और स्कूलों के बंद होने के कारण प्रदूषण संबंधी बीमारियों की शिकायत करने वाले बच्चों की संख्या में काफी कमी आई थी, लेकिन अब जब बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाने लगे हैं तो फिर से मामलों में बढ़ोतरी हो गई है. उन्होंने कहा कि लगभग एक महीने पहले केवल 20% बच्चे सांस लेने में तकलीफ और प्रदूषण से संबंधित अन्य समस्याओं से ग्रसित होकर इलाज के लिए आ रहे थे, लेकिन अब ये अनुपात बढ़कर 70% -80% तक पहुंच गया है।

डॉक्टर का कहना है कि अगर बच्चे दिल्ली की जहरीली हवा में केवल कुछ घंटे बिताते हैं तो उन्हें सिरदर्द, मतली और चिडचिडापन हो सकता है. इस दौरान बच्चों में एकाग्रता की कमी और ऊर्जा की कमी भी देखी जाती है।

बच्चों में बढ़ रही है सांस संबंधी दिक्कतें
दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ती आबोहवा से होने वाले खतरे को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि हम सभी से विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं खासकर बच्चों से. डॉक्टरों का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में इन दिनों आंखों में जलन, सूजन और लालिमा, आंखों से पानी आने, आंखों में सूखापन और खुजली ,नाक में जलन और होठों पर अजीब स्वाद आने की समस्या, खांसी, जुखाम, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या बढ रही हैं. ये सभी प्रदूषण के अल्पकालिक प्रभाव हैं, जबकि इससे लंबे समय तक बनी रहने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।

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