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वसुंधरा राजे समेत सभी बड़े नेताओं-अफसरों को मिली क्लिन चिट, क्या था 5000 करोड़ का कथित घोटाला?

September 18, 2025

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति में पिछले 10 साल से एक मामला बार-बार गूंजता रहा- महिंद्रा सेज केस (Mahindra SEZ Case). यह मामला कभी 5000 करोड़ के कथित घोटाले के आरोपों के साथ सुर्खियों में रहा, तो कभी बड़े नेताओं और अफसरों के नाम सामने आने से. लेकिन अब जयपुर की अदालत ने इस पूरे प्रकरण पर आखिरी मोहर लगाते हुए कह दिया है- ‘कोई सबूत नहीं, केवल आरोप.’ यानी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत सभी बड़े नेताओं और अफसरों को क्लीन चिट मिल गई है.

करीब 10 साल पहले जयपुर में महिंद्रा ग्रुप ने महिंद्रा वर्ल्ड सिटी नाम से सेज (Special Economic Zone) प्रोजेक्ट शुरू किया. योजना के मुताबिक, यहां सड़क, पार्क, स्कूल जैसी सामाजिक सुविधाओं के लिए करीब 1000 एकड़ जमीन रिजर्व रखी गई थी. आरोप लगे कि तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने महिंद्रा ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए इस जमीन का लैंड यूज बदल दिया.

इस पूरे मामले में कहा गया कि 1000 एकड़ सामाजिक सुविधाओं की जमीन घटाकर 446 एकड़ कर दी गई. करीब 500 एकड़ जमीन महिंद्रा की दूसरी कंपनी लाइफ स्पेस डवलपर्स को दे दी गई. आरोप यह भी था कि इस प्रक्रिया में राजकीय खजाने को लगभग 5000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.


यह मामला इसलिए और बड़ा हो गया क्योंकि इसमें राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी के कई बड़े नाम सामने आए. इस केस में वसुंधरा राजे (तत्कालीन मुख्यमंत्री), राजेंद्र राठौड़ (तत्कालीन मंत्री), गुलाबचंद कटारिया (तत्कालीन मंत्री, अब पंजाब के राज्यपाल), गजेंद्र सिंह खींवसर (तत्कालीन मंत्री, मौजूदा सरकार में भी मंत्री), सीएस राजन (तत्कालीन मुख्य सचिव, बाद में सीएम के सलाहकार), वीनू गुप्ता (तत्कालीन उद्योग सचिव, अभी RERA चेयरपर्सन) आदि के नाम शामिल थे. परिवादी संजय छाबड़ा ने अदालत में दावा किया था कि इन सभी ने मिलकर पद का दुरुपयोग किया और महिंद्रा ग्रुप को फायदा पहुंचाया.

मामला 10 साल तक अदालत में चला. हाल ही में जयपुर की अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट पार्वती ने आदेश सुनाया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत ने कहा- परिवादी ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ या ठोस साक्ष्य पेश नहीं किए. सिर्फ मौखिक आरोप लगाए गए थे. ऐसे में मामला चलाना संभव नहीं है इसलिए अदालत ने पूरा परिवाद खारिज कर दिया.

राजनीतिक रूप से यह फैसला बेहद अहम है. ऐसा होने से वसुंधरा राजे और उनके सहयोगियों को बड़ी राहत मिली है. विपक्ष के पास जो ‘5000 करोड़ का घोटाला’ कहकर हमला करने का मुद्दा था, वह अब अदालत की नजर में साबित नहीं हुआ. यह केस अब राजस्थान की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा तो रहेगा, लेकिन कानूनी रूप से इसका अध्याय बंद हो गया है.

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