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UPI से लेन-देन में टूटे सारे रिकॉर्ड, भुगतान में गांवों ने शहरों को छोड़ा पीछे

May 24, 2023

नई दिल्ली (New Delhi)। यूपीआई (UPI) से लेनदेन (transactions) 2022-23 में रिकॉर्ड 139 लाख करोड़ रुपये (Record 139 lakh crore rupees) के पार पहुंच गया है। 2016 में यूपीआई के जरिये सिर्फ 6,947 करोड़ रुपये का लेनदेन (Rs 6,947 crore transaction) होता था। इस अवधि में संख्या के लिहाज यूपीआई लेनदेन 1.8 करोड़ से बढ़कर 8,375 करोड़ पहुंच गया। खास बात है कि यूपीआई भुगतान (UPI Payment) में गांवों ने शहरों को पीछे छोड़ दिया।

एसबीआई की रिपोर्ट (SBI report) के मुताबिक, 2015-16 में जीडीपी की तुलना में डिजिटल भुगतान 668 फीसदी था, जो अब 767 फीसदी पहुंच गया है। आरटीजीएस को छोड़ दें तो खुदरा डिजिटल भुगतान 129 फीसदी से बढ़कर 242 फीसदी पर पहुंच गया है। उधर, 2022-23 में मूल्य के लिहाज से यूपीआई भुगतान में गांवों का हिस्सा बढ़कर 25 फीसदी पहुंच गया, जबकि शहरों की हिस्सेदारी 20 फीसदी रही।


खुदरा लेनदेन में तेजी
खुदरा में यूपीआई का मूल्य बढ़कर 83 फीसदी हो गया है। एटीएम से निकासी घटकर 17 फीसदी हो गई है। एटीएम से कुल लेनदेन (डेबिट कार्ड) 30-35 लाख करोड़ रुपये रहा है। 2017 में एटीएम से लेनदेन नॉमिनल जीडीपी का 15.4 फीसदी था, जो अब 12.1% पर आ गया है।

2000 के नोट वापस लेने का असर नहीं
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई के 2000 के नोट वापस लेने के फैसले का अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं होगा। हालांकि, इससे बैंकों को तरलता के मोर्चे पर मदद मिल जाएगी। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि नोट वापसी से करीब 3 लाख करोड़ रुपये वापस सिस्टम में आ जाएंगे, जबकि बैंकों के करेंसी चेस्ट के पास पहले से ही 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है।

साल में सिर्फ 8 बार एटीएम जाते हैं लोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसे निकालने के लिए पहले लोग साल में औसतन 16 बार एटीएम में जाते थे। अब यह संख्या घटकर 8 बार रह गई है। लगातार डिजिटल भुगतान की वजह से अब एटीएम से नकदी निकासी में गिरावट आई है। इस समय देश में 2.5 लाख एटीएम हैं।

यूपीआई से अप्रैल में 14.1 लाख करोड़ का भुगतान
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में यूपीआई से कुल 8.9 अरब लेनदेन के जरिये 14.1 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। इस दौरान हर भुगतान का मूल्य औसतन 1,600 रुपये रहा। देश के शीर्ष-15 राज्यों में यूपीआई की मूल्य और संख्या के लिहाज से हिस्सेदारी 90 फीसदी रही है। शीर्ष-100 जिलों में यह हिस्सा 45 फीसदी है। यूपीआई में एक रुपये का मूल्य बढ़ने से डेबिट कार्ड से लेनदेन में 18 पैसे की कमी आती है।

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