
इंदौर। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा है कि बीआरटीएस की बस लाइन में निजी बस और कार चलाने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। बीआरटीएस को तोडऩे का काम एक महीने बाद शुरू होगा, तब तक इस नई व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा और फिर उसके बाद न्यायालय द्वारा अनुमति दिए जाने के परिणाम स्वरूप अब इंदौर का बीआरटीएस तोड़ा जाना निश्चित हो गया है। नगर निगम द्वारा जीपीओ चौराहा से लेकर व्हाइट चर्च चौराहा तक के क्षेत्र में बीआरटीएस की बस को अलग करने वाली जालियां निकालने का काम किया जा रहा है। यह तो स्पष्ट है कि नगर निगम अपने दम पर 11.5 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस की जालियां निकालकर उन जालियों के बेस को तोडऩे का काम नहीं कर सकेगा।
ऐसे में नगर निगम की स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा फैसला लिया गया है कि अब एक-दो दिन के अंदर ही अलग से टेंडर जारी कर दिया जाएगा। इस टेंडर के माध्यम से बीआरटीएस के कॉरिडोर को तोडऩे का काम ठेके पर निजी क्षेत्र को दे दिया जाएगा। यह टेंडर जारी होने, ठेकेदार को काम सौंपने और फिर काम शुरू होने में काम से कम डेढ़ महीने का वक्त लगेगा। इससे स्पष्ट है कि डेढ़ महीने बाद जाकर बीआरटीएस तोडऩे का काम शुरू हो सकेगा। इस स्थिति में बीआरटीएस के कॉरिडोर पर वाहन चलाने वाले वाहन चालकों को राहत देने के उद्देश्य से महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा एक नए प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
भार्गव ने बताया कि इस अवधि में बीआरटीएस की बस लेन में निजी बस और चार पहिया वाहन के रूप में कार के संचालन की अनुमति दी जा सकती है। इस बारे में अभी विचार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव के गुण-दोष देखे जा रहे हैं। इस गुण-दोष के आधार पर इस नई व्यवस्था को लागू करने का फैसला हो सकता है। ध्यान रहे कि पूर्व में भी इस बस लाइन में निजी वाहन चलाने की अनुमति दी गई थी। जब यह अनुमति दी गई थी तो इस अनुमति के कारण सामान्य वाहनों के आने-जाने वाले स्थान पर यातायात कम हो गया था और लोगों को राहत मिली थी। अब बीआरटीएस को तोडऩे में हो रही देरी के बीच में इस राहत वाले हालात को फिर से बनाया जा सकता है।
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