
प्रयागराज (Prayagraj)। इलाहाबाद संग्रहालय (Allahabad Museum) में प्राचीनतम साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों (oldest literary and religious texts) की पांच सौ से एक हजार साल पुरानी (five hundred to one thousand years old) दुर्लभ पांडुलिपियों (rare Manuscripts collection) का संग्रह सड़कर नष्ट हो गया है। इसके अलावा ताड़पत्रों में दीमक (Termites in palm leaves) लग गई हैं। ताड़पत्र किस कालखंड के हैं, अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
हालांकि पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से ताड़पत्रों का लेखन सामग्री के रूप में इस्तेमाल किए जाने के प्रमाण मिल चुके हैं। पता चला है कि इन पांडुलिपियों को स्ट्रांग रूम के डबल लॉक में रखवाने की बजाए जमीन पर छोड़ दिया गया था। जानकारी मिलने के बाद इस मामले में पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई गई।
संग्रहालय में बहुत राजनीति चल रही है। मुझे पांडुलिपियों के खराब होने या ताड़पत्रों में दीमक लगने की जानकारी नहीं दी गई है।
-राजेश प्रसाद, निदेशक, इलाहाबाद संग्रहालय
पाली या उड़िया भाषाओं में
समिति ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि कमरे में ताड़पत्रों की भी दुर्लभ पांडुलिपियां एक बॉक्स में रखी मिलीं। करीब 10 ताड़पत्रों वाली पांडुलिपियों के ज्यादातर हिस्से में दीमक लगी मिली। यह पाली या उड़िया भाषाओं में लिखी गई हैं।
फारसी का महाग्रंथ शाहनामा भी
नष्ट हुई इन पांडुलिपियों में फिरदौसी कृत फारसी का महाग्रंथ शाहनामा भी था। यह रचना ईरान पर अरबी फतह के बाद सन् 1010 में फिरदौसी ने लिखी थी। इसमें सन 636 के पूर्व के शासकों का चरित लिखा गया है।
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