खूंटी (khoontee)। अक्टूबर से फरवरी तक एक दिन भी बारिश (Rain) नहीं होने और फरवरी महीने में औसत से अधिक तापमान रहने का प्रभाव रबी फसल (Winter crops) पर साफ दिखने लगा है। मौसम की बेरुखी (bad weather) के कारण खरीफ की फसल पहले ही चौपट हो चुकी है।अब रबी की पैदावार पर भी संकट के बादल गहराने लगे हैं। बारिश नहीं होने के कारण रबी फसल की उपज में कमी होने के आसार बनते दिख रहे हैं। मौसम की बेरुखी का असर आम और लीची की फसलों पर भी पड़ रहा है। एक और जहां फसलों पर कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया है, वही आम और लीची की फसल पर मधुआ रोग का प्रकोप भी बढ़ गया है।
तोरपा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि और मौसम वैज्ञानिक डॉ राजेन चौधरी करते हैं कि शुरुआती महीने में आम की फसल पर परम मधुवा रोग का प्रकोप नहीं था, लेकिन अब इसके लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बारिश नहीं होने से पौधों और पेड़ों पर महीन धूलकण की परत जम जाती हैं। इसके कारण प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है। इसके असर से पौधों में दाने कम आएंगे।
डॉ राजेन चौधरी ने बताया कि आम, लीची और कटहल के पेड़ पर मंजर लगने या फूल आने से पूर्व कीटों के प्रभाव को खत्म करने के लिये मेटासिस्टॉक्स 25 ईसी एक मिलीलीटर या कुंग-फू या कराटे या मटाडोर (लेम्डा साइलोथ्रीन) दो ग्राम के साथ आधा ग्राम कारबेंडाजिम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि ’आम के पौधों को दीमक कीट से बचाव के लिए मुख्य तना में जमीन से 1-2 मीटर ऊपर तक चूना से रंगाई करें तथा कीट नाशी मोनोक्रोटोफॉस तथा इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
इस मौसम में मिली बग के बच्चे को जमीन से निकलकर तनों पर चढ़ने से रोकने के लिए जमीन से 1-2 मीटर की ऊंचाई पर तने के चारों तरफ 30 सेमी चौड़ी अल्काधीन की पट्टी लपेटे और आसपास की मिट्टी की खुदाई करें, जिससे अण्डे नष्ट हो जायेंगें। ’कटहल’ कें फूल होने की अवस्था में एन्थ्रेक्सनोज से बचाव के लए ब्लाइटोक्स 50 या ब्लू कापर 2.5 ग्राम की दर से व्यवहार करें। फरवरी माह में पेड़ों पर फूल नहीं आने पर यूरिया पांच ग्राम या पोटाश्यिम नाईट्रेट दस ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। परिपक्व पेड़ के लिए 18-20 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। डॉ चौधरी ने कहा कि मौसम को ध्यान में रख कर दवा का छिड़काव करें। एजेंसी(हि.स.)
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved