
नई दिल्ली. पिछले साल अमेरिका (America) के पेंसिल्वेनिया में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की हत्या की कोशिश के मामले में सीक्रेट सर्विस (Secret Service) के छह एजेंट्स (6 agents) को सस्पेंड कर दिया गया है.
इस मामले पर डिप्टी डायरेक्टर मैट क्विन ने सीबीएस न्यूज को बताया कि सीक्रेट सर्विस के इन एजेंट्स पर पेनल्टी लगाई गई है. उन्हें 10 से 42 दिन की अनपेड लीव पर भेजा गया है. उनके लौटने पर उन्हें कमतर कामों में लगाया जाएगा. इन एजेंट्स को सस्पेंड करते वक्त बयान में कहा गया कि किसी भी मामले में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
यह घटना पिछले साल 13 जुलाई को पेंसिल्वेनिया के बटलर में हुई थी. ट्रंप की रैली के दौरान एक गोली उनके कान को छूते हुए निकल गई थी. इस हादसे में उनकी जान बाल-बाल बची थी. इस हादसे में एक शख्स की मौत हो गई थी जबकि दो लोग घायल हो गए थे. हमलावर थॉमस क्रूक्स को सीक्रेट सर्विस स्नाइपर ने मार गिराया था.
इस घटना के समय ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे. इस घटना ने उनके कैंपेन को और मजबूती दी. उन्हें लोगों की सहानुभूति और समर्थन दोनों मिला.
इस घटना के बाद दिसंबर में 180 पेजों की एक रिपोर्ट भी जारी हुई थी, जिसमें बताया गया था कि 13 जुलाई की यह घटना त्रासद थी लेकिन इसे रोका जा सकता था. इस घटना को सीक्रेट सर्विस की नाकामी बताया गया था.
बता दें कि अमेरिका की सीक्रेट सर्विस साल 1865 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट की शाखा के तौर पर शुरू हुई थी. शुरुआत में इसका काम डॉलर की जालसाजी को रोकना था क्योंकि उस समय फेक करेंसी का बोलबाला था. लेकिन साल 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई. इसके बाद वाइट हाउस हरकत में आया और तय किया गया कि सीक्रेट सर्विस को फेक करेंसी का चलन रोकने के साथ-साथ राष्ट्रपति की सुरक्षा का भी जिम्मा भी दिया जाए. मौजूदा समय में सीक्रेट सर्विस राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की सुरक्षा के अलावा अमेरिका में आर्थिक गतिविधियों पर नजर भी रखती है.
सीक्रेट सर्विस के पास वॉरंट इश्यू करने की ताकत होती है, लेकिन ये एजेंट बिना वॉरंट के भी गिरफ्तारी कर सकते हैं. फायरआर्म्स रखने वाले कुल 3 हजार 2 सौ स्पेशल एजेंट्स हैं. सीक्रेट सर्विस की यूनिट में 1300 डिवीजन ऑफिसर्स और 2000 से ज्यादा टेक्निकल और सपोर्ट पर्सनल हैं.
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