
नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) द्वारा दोनों पक्षों पर लगातार दबाव डालने और अलग-अलग देशों में महीनों से चल रही बातचीत के बावजूद यूक्रेन जंग में समझौते (Ukraine war Agreements) को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसके बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है। हाल ही में पुतिन (Putin) द्वारा युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बाद अब अमेरिका ने यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता नहीं करने का ऐलान किया है।
अमेरिका के विदेश विभाग ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा है कि वे अपनी कार्यप्रणाली बदलने जा रहे हैं। विदेश विभाग ने यह भी कहा है कि अब अमेरिका इन बैठकों के लिए दुनिया भर में उड़ान नहीं भरेगा। विदेश विभाग ने कहा कि यूक्रेन और रूस को युद्ध को समाप्त करने के लिए ठोस प्रस्ताव पेश करना चाहिए और इस समस्या को हल करने के लिए एक-दूसरे से सीधे मिलना चाहिए।
अमेरिका ने क्या कहा?
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने एक बयान में कहा, “इसमें किस तरह का बदलाव होगा यह हम तय नहीं करेंगे। हम निश्चित रूप से अभी भी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं और मदद करेंगे और जो कर सकते हैं, करेंगे। लेकिन हम बैठकों में मध्यस्थता करने के लिए दुनिया भर में नहीं जा रहे हैं, यह अब दो पक्षों के बीच है।” बयान में आगे कहा गया, “और अब समय आ गया है कि उन्हें इस बारे में ठोस विचार प्रस्तुत करने और आगे बढ़ने की जरूरत है कि यह जंग कैसे खत्म होने जा रही है।
जेडी वेंस ने भी मानी हार
इस बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए जेडी वेंस ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन को बातचीत की मेज तक ले कर आए हैं लेकिन अब यह उन पर निर्भर करेगा कि वे किसी समझौते पर पहुंचे और इस क्रूर संघर्ष को रोकें। उन्होंने कहा, “यह कहीं नहीं जा रहा है। यह जल्द ही खत्म नहीं होने जा रहा है।”
रूस ने नहीं माना US का प्रस्ताव
बता दें कि बीते दिनों क्रेमलिन ने यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत की पेशकश की है, लेकिन इस सप्ताह रूस ने अमेरिका के शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। अमेरिका द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव को मंजूरी न देने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि इसमें जंग के दौरान रूस द्वारा हासिल किए गए क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं दी गई थी।
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