
नई दिल्ली । एक हालिया सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि अमेरिका (America) ने भारत (India) के करीब हिन्द महासागर (Indian Ocean) में एक द्वीप पर अपने जंगी बेड़े उतार रखे हैं। इसमें बमवर्षक B-52 (Bomber B-52) से लेकर फाइटर जेट F-15 (Fighter Jet F-15) तक की तैनाती बढ़ा दी गई है। यह तैनाती हिन्द महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया द्वीप पर की गई है, जो अमेरिकी सेना का मिलिट्री बेस है। ओपन-इंटेलिजेंस एक्सपर्ट एमटी एंडरसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक सैटेलाइट इमेजरी शेयर की है, जिससे पता चलता है कि डिएगो गार्सिया में अमेरिकी वायुसेना ने जंगी बेड़े में कई अत्याधुनिक बमवर्षकों और फाइटर जेट को तैनात कर रखा है।
जंगी बेड़े में क्या-क्या तैनात?
इमेजरी से पता चलता है कि वहां चार B-52 सामरिक बमवर्षक तैनात हैं। ये लंबी दूरी तक पहुंच रखने और मार करने की क्षमता वाले बमवर्षक हैं। इसके अलावा छह F-15 लड़ाकू जेट भी इमेजरी में दिखाई दे रहे हैं। F-15 की मौजूदगी क्षेत्रीय तनाव और किसी भी तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने, हवाई श्रेष्ठता और संभावित हमलों से निपटने की क्षमताओं को रेखांकित करती है। मिलिट्री बेस पर छह KC-135 हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर भी तैनात हैं।
क्या है डिएगो गार्सिया?
डिएगो गार्सिया चागोस द्वीपसमूह के हिस्सा है, जो ईरान से लगभग 4700 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है और भारत से करीब 1800 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में है। यहां से चीन की दूरी 3000 मील है। 1960 के दशक में ब्रिटेन ने अमेरिका को यह द्वीप पट्टे पर दिया था। 1970 में दशक में अमेरिका ने सोवियत रूस के आधिपत्य को चुनौती देते हुए इस द्वीप पर मिलिट्री बेस स्थापित किया था। रसद के लिहाज से यह बहुत बड़ा बेस है। इसका रनवे 3600 मीटर से ज्यादा लंबा है,जो भारी मालवाहक विमानों और बमवर्षक विमानों को लॉन्च करने के लिए पर्याप्त है। इस बेस पर गहरे पानी का एक बंदरगाह भी है, जो परमाणु पनडुब्बियों और नौसेना के जहाजों के लिए डॉकिंग सुविधा उपलब्ध कराता है।
यह क्यों मायने रखता है?
यह अमेरिकी एयरक्राफ्ट्स के लॉन्ग रेंज मिशन के लिए एक सुरक्षित लॉन्च पॉइंट है। इस द्वीप को अक्सर एशिया और मिडिल-ईस्ट में गुप्त मिशनों के संचालन के लिए एक स्ट्रैटेजिक प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यहां से पहले भी GBU-57 जैसे बंकर-बस्टिंग बम ले जाने में सक्षम B-2 रणनीतिक बमवर्षक विमान अफगानिस्तान और इराक में अभियानों के लिए लॉन्च किए जा चुके हैं। मौजूदा ईरान-इजरायल संघर्ष और ईरानी परमाणु परियोजना को लेकर तनाव के मद्देनजर यह बेस फिर से एक बार नई गतिविधि का केंद्र बनकर उभरा है। माना जा रहा है कि हालिया तैनाती भी ईरान पर अमेरिकी और इजरायली हमले के बाद पैदा हुए तनाव को देखते हुए की गई है।
✈️ Diego Garcia: Persistent Power Projection – Latest Snapshot (June 29, 2025)
New satellite imagery from NSF Diego Garcia today, June 29, 2025, offers a fresh perspective on the enduring strategic importance of this key Indian Ocean facility. Despite shifting regional dynamics,… pic.twitter.com/KXuL39kZRQ
— MT Anderson (@MT_Anderson) June 29, 2025
निशाने पर चीन-ईरान
इजरायल और ईरान के बीच भले ही युद्धविराम हो चुका है लेकिन अभी भी मिडिल-ईस्ट में तनाव बरकरार है। इसी वजह से अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु संवर्धन पर कूटनीतिक वार्ता भी रुकी हुई है। एक तरफ इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि ईरान पर अमेरिका फिर हमला कर सकता है तो वहीं दूसरी तरफ हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक बार फिर से तनाव बढ़ने लगा है। अमेरिका के मित्र देशों का चीन से चीन सागर में टकराव बढ़ रहा है। इस लिहाज से बी अमेरिका ने डिएगो गार्सिया द्वीप पर सामरिक तैनाती बढा दी है, ताकि एक ही प्वाइंट से जरूरत पड़ने पर दोनों तरफ हमले किए जा सकें या सैन्य प्रतिक्रिया दी जा सके।
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