
नई दिल्ली । अमेरिका (America) ने साल 2019 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (kim jong un) के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन लॉन्च कर दिया था। यह एक जासूसी ऑपरेशन (spying operation) था। जानकारी के मुताबिक अमेरिका (America) ने उनके आसपास रिकॉर्डिंग डिवाइसेज (Recording Devices) लगाई जानी थीं। पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को ढेर करने में अहम भूमिका निभाने वाली टीम को ही इस ऑपरेशन के लिए रवाना किया गया था। हालांकि यह मिशन कामयाब नहीं हो पाया। न्ययॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक की आम नागरिकों की मौत के बाद ऑपरेशन को खत्म कर दिया गया। अब इस मिशन को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने भी हैरानी जताई है। पत्रकारों ने जब इस मिशन का जिक्र किया तो डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इससे पहले उन्होंने भी इसके बारे में कभी नहीं सुना।
जानकारी के मुताबिक यह मिशन बहुत खतरनाक था। ऐसे में इसके लिए राष्ट्रपति से इजाजत लेना भी जरूरी था। हालांकि ऐसा किया नहीं गया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मिशन के लिए कई महीने अभ्यास किया गया था। इसके बाद भी मिशन कामयाब नहीं हो पाया। रिपोर्ट के मुताबिक यह ऑपरेशन अमेरिकी नौसेना SEALs (Sea Air and Land Teams) की उसी टीम ने यह ऑपरेशन शुरू किया था जिसने 2011 में ओसामा बिन लादेन को ढेर करने के आभियान चलाया था।
जानकारी के मुताबिक यह टीम एक मिनी सबमरीन में सवार होकर नॉर्थ कोरिया पहुंची थी। कई घंटे तक तट के पास रुकने के बाद वे किनारे की ओर बढ़ रहे थे तभी उन्हें एक बोट दिखाई दी। बोट से एक शख्स समंदर में कूद गया। अमेरिकी टीम को लगा कि यह उत्तर कोरिया नौसेना के सिपाही हैं। ऐसे में अमेरिकी सैनिकों ने गोलियां चला दीं। बाद में पास जाकर देखा तो नाव में कुछ लाशें पड़ी थीं। लेकिन नाव में ना तो कोई हथियार था और ना ही कोई वर्दी। ऐसे में पता चल गया कि ये उत्तर कोरिया के सैनिक नहीं बल्कि मछुआरे रहे होंगे।
इसके बाद अमेरिकी टीम ने बोट को चाकू से पंक्चर कर दिया जिससे कि उन लोगों की लाशें समंदर में डूब जाएं और अमेरिका पर किसी को शक भी ना हो। बाद में अमेरिकी सेना ने इस घटना की समीक्षा की और मौतों को सही ठहरा दिया। वहीं अमेरिका के इस विफल अभियान को सामने नहीं आने दिया गया।
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